Ganesh Visarjan 2024: बप्पा की विदाई का दृश्य बड़ा मनमोहक होता है. गणेश विसर्जन पर भक्त नाचते गाते गणपति को विदा करते हैं और उनकी प्रतिमा को पवित्र नदियों में विसर्जित कर देते हैं. जाते-जाते गणेश भगवान अपने भक्तों की सारी मुरादें भी पूरी कर जाते हैं. लेकिन क्या कभी आपने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर गणपति विसर्जन क्यों किया जाता है. दस दिन पूजा करने के बाद गणपति जी की प्रतिमा को जल में क्यों विसर्जित किया जाता है. आइए आज आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीवेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से श्रीगणेश को महाभारत कथा लगातार दस दिन तक सुनाई थी. दस दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोलीं तो पाया कि दस दिन की मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है. ऐसे में वेद व्यास जी ने तुरंत गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था. कहते हैं कि इसीलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है.
गणेश चतुर्दशी और विसर्जन की महिमा
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेशोत्सव की शुरुआत होती है. भगवान गणेश की उपासना चतुर्दशी तिथि तक होती है. श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी तिथि को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी तिथि को किया जाता है. ये नौ दिन गणेश नवरात्रि कहे जाते हैं. मान्यता है कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान पुनः कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते हैं. स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. इसलिए इस दिन को अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं.
विसर्जन के समय जरूर करें ये विशेष उपाय
गणेश विसर्जन के समय एक भोजपत्र या पीला कागज लें. अष्टगंध कि स्याही या नई लाल स्याही की कलम भी लें. भोजपत्र या पीले कागज पर सबसे ऊपर स्वस्तिक बनाएं. इसके बाद स्वस्तिक के नीचे 'ॐ गं गणपतये नमः' लिखें. फिर क्रम से एक-एक करके अपनी सारी समस्याएं लिखें.
समस्याओं के अंत में अपना नाम लिखें फिर गणेश मंत्र लिखें. सबसे आखिर में स्वस्तिक बनाएं. कागज को मोड़कर रक्षा सूत्र से बांध लें. गणेश जी को समर्पित करें. इस कागज को भी गणेश जी की प्रतिमा के साथ ही विसर्जित कर दें. फिर आपको समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.