Guru Nanak Jayanti 2023: हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर यानी आज है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव का जन्म हुआ था. गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक थे. इस दिन को प्रकाश पर्व या गुरु पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. सिख समुदाय के लोग गुरु नानक पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन ढोल मंजीरों के साथ प्रभात फेरी निकालते हैं. गुरुद्वारे जाकर माथा टेकते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं.
आपने गुरु नानक की शिक्षाओं, उपदेशों के बारे में तो खूब सुना होगा. लेकिन क्या आप गुरु नानक देव के निजी जीवन के बारे में जानते हैं. क्या आप जानते हैं कि उनका विवाह किसके साथ हुआ था और उनकी कितनी संतानें थीं. आइए आज आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
कौन थीं गुरु नानक देव की पत्नी?
गुरु नानक देव जी की पत्नी का नाम माता सुलखनी देवी था. माता सुलखनी देवी का जन्म वर्ष 1473 में पाकिस्तान के पखोके गांव में हुआ था. उनका विवाह गुरु नानक जी के साथ 1487 में कुरुक्षेत्र में हुआ था. माता सुलखनी देवी ने गुरु नानक जी के साथ एक धार्मिक और सामाजिक जीवन बिताया और उनके उपदेशों को जीवनभर अपनाए रखा. उन्होंने गुरु नानक जी के साथ मिलकर समाज सेवा भी की और उनको उपदेशों को फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया.
सिख समुदाय में माता सुलखनी देवी का नाम बहुत ऊंचा है. उनका योगदान गुरु नानक जी के धार्मिक आंदोलन में महत्वपूर्ण था. उन्होंने न केवल अपने पति की आध्यात्मिक गतिविधियों को आगे बढ़ाया, बल्कि सिख समुदाय के विकास में भी योगदान दिया. उनका परिवार गुरु नानक के बाद भी सिख धर्म के सर्वोच्च गुरुओं के साथ जुड़ा रहा और गुरु की धर्मिक विचारधारा को बचाने और बढ़ाने में जुटा रहा.
गुरु नानक और माता सुलखनी के दो पुत्र भी थे- श्रीचंद और लखमी दास. गुरु नानक से देवी सुलखनी का विवाह प्रेम, सम्मान, समर्पण और आध्यात्मिक समझ पर आधारित था. माता सुलखनी देवी जीवनभर गुरु नानक के समर्थन में खड़ी रहीं. उनके आध्यात्मिक विकास को प्रोत्साहित और पोषित किया. सिख धर्म में उनके इस अतुल्य योगदान को दुनिया आज भी याद रखती है.