Guru Purnima 2023: हिंदू धर्म में गुरु पूजन का काफी महत्व है. गुरु को शास्त्रों में ईश्वर से बड़ा दर्जा दिया गया है और उनकी पूजन के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. आज यानी अषाड़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जा रही है. गुरु पूर्णिमा का दिन महर्षि वेदव्यास को समर्पित होता है. महाकाव्य महाभारत की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास का इस दिन जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं. गुरु के साथ इस दिन देवगुरु बृहस्पति की भी पूजा की जाती है. गुरु की पूजन करने के भी कुछ नियम होते हैं जिनका सभी को पालन करना चाहिए. जैसे
1. गुरु की वाणी का एक-एक शब्द आपकी तमाम संपत्ति पर भारी है इसलिए गुरु के सामने कभी भी दौलत-शोहरत का रौब नहीं दिखाना चाहिए.
2. शास्त्रों में बताया गया है कि गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर होता है इसलिए गुरु के आसन पर कभी नहीं बैठना चाहिए. गुरु के आसान पर बैठना ना केवल गुरु के साथ-साथ ईश्वर का भी अपमान है.
3. गुरु के पास जब भी रहें उनके मुख की ओर कभी पैर करके ना बैठें. ऐसा करने से भी गुरु का अपमान होता है.
4. गुरु के सामने कभी गलत और अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें. गुरु के मन को ठेस पहुंचाने वाले अपशब्द कभी जुबान पर नहीं लाने चाहिए नहीं तो गुरु का अपमान होता है.
5. भूलकर भी कभी गुरु की बुराई किसी और के आगे नहीं करनी चाहिए. यह घोर अनर्थ है. यदि कोई दूसरा व्यक्ति भी ऐसा कर रहा है तो संयमित होकर उसे रोकने का प्रयास करें.
गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें गुरु की पूजा?
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को उच्च आसन पर बैठाएं. उनके चरण जल से धुलाएं और पोंछे. फिर उनके चरणों में पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें. इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें. उन्हें फल, मिठाई दक्षिणा अर्पित करें. इसके बाद गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें.