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Hajj Yatra 2022: दो साल बाद हज यात्रा पर जा रहे भारतीय, जानिए इससे जुड़ी हर एक बात

Hajj Yatra 2022: कोरोना का असर कम होने के बीच दो साल बाद फिर से सऊदी अरब सरकार ने विदेशी यात्रियों को हज यात्रा पर आने की इजाजत दे दी है. इस साल सऊदी सरकार ने भारत के लिए 79,237 यात्रियों का कोटा रखा है.

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कोरोना के कारण दो साल तक हज पर विदेशी यात्रियों के आने पर रोक लगा दी थी. (फाइल फोटो-PTI)
कोरोना के कारण दो साल तक हज पर विदेशी यात्रियों के आने पर रोक लगा दी थी. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 79,237 भारतीय जा रहे हैं हज यात्रा पर
  • सऊदी अरब के मक्का में होती है हज यात्रा
  • इस बार कोरोना गाइडलाइंस के साथ यात्रा

दो साल बाद भारतीय मुस्लिम हज यात्रा पर जा रहे हैं. कोरोना के कारण 2020 और 2021 में सऊदी अरब ने विदेशी यात्रियों के हज करने पर रोक लगा दी थी. लेकिन इस बार सऊदी सरकार ने कुछ शर्तों के साथ विदेशी यात्रियों को इसकी इजाजत दे दी है. हज यात्रा वो होती है जिसपर दुनिया का हर मुसलमान जाना चाहता है.

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अल्पसंख्यक मंत्रालय के मुताबिक, इस साल सऊदी सरकार ने भारत के लिए 79 हजार 237 सीटों का कोटा रखा है. इनमें से 56 हजार 601 सीटें हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCOI) के लिए हैं, जबकि बाकी 22 हजार 636 सीटें प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के लिए हैं. हज कमेटी ऑफ इंडिया ही राज्यों में मुस्लिम आबादी के हिसाब से सीटों का बंटवारा करती है.  

हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए हज यात्रा पर जाने के लिए यात्रियों को रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है और उसके बाद उन्हें शॉर्टलिस्ट किया जाता है. हज यात्रा पर जाने के लिए कुछ गाइडलाइंस भी हैं. 

हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिल हिज्जाह की 8वीं तारीख से 12वीं तारीख तक होता है. जिस दिन हज पूरा होता है, उस दिन ईद-उल-अजहा यानी बकरीद होती है. मुसलमानों में हज के अलावा एक और यात्रा होती है, जिसे उमराह कहा जाता है. हालांकि, उमराह साल में कभी भी हो सकता है जबकि हज सिर्फ बकरीद पर ही होता है.

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हज यात्रा जरूरी क्यों?

- मुस्लिमों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है. ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस्लाम में 5 स्तंभ हैं- कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना और हज पर जाना. 

- कलमा, नमाज और रोजा रखना तो हर मुसलमान के लिए जरूरी है. लेकिन जकात (दान) और हज में कुछ छूट दी गई है. जो सक्षम हैं यानी जिनके पास पैसा है, उनके लिए ये दोनों (जकात और हज) जरूरी हैं. 

- हज सऊदी अरब के मक्का शहर में होता है, क्योंकि काबा मक्का में है. काबा वो इमारत है, जिसकी ओर मुंह करके मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. काबा को अल्लाह का घर भी कहा जाता है. इस वजह से ये मुसलमानों का तीर्थ स्थल है. 

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हज यात्रा में कौन जा सकता है?

- हज यात्रा में सिर्फ वही मुस्लिम जा सकते हैं जिनकी उम्र 65 साल से कम होगी. यानी, अगर आपका जन्म 10 जुलाई 1957 के बाद हुआ है तो आप हज यात्रा पर जा सकते हैं. ये नियम कोरोना के मद्देजनर हैं.

- हज यात्रा पर जाने के लिए कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी होनी जरूरी हैं. इसके साथ ही वैक्सीनेशन के बावजूद सऊदी अरब जाने से 72 घंटे पहले निगेटिव RTPCR रिपोर्ट चाहिए होगी. 

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-हज यात्रा में 45 साल से ऊपर की महिलाएं बिना पुरुष साथी के भी जा सकती हैं. हालांकि, उनके साथ 4 महिला साथी होना जरूरी हैं. 

हज यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे?

अगर आप हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए हज यात्रा करना चाहते हैं तो उसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. इसके लिए आपको hajcommittee.gov.in पर जाना होगा और यहां रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होगा. सारे जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होंगे. इस फॉर्म के लिए 300 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी. अगर आपका सिलेक्शन हो जाता है तो आपको मैसेज के जरिए जानकारी दी जाएगी. फिलहाल हज यात्रा 2022 के लिए रजिस्ट्रेशन बंद हो चुके हैं.

कितना खर्चा होता है?

- हज यात्रा को काफी महंगा माना जाता है. अभी हज यात्रा के लिए फाइनल खर्च तय नहीं हुआ है. हालांकि, 2022 की यात्रा पहले के मुकाबले सवा लाख रुपये तक महंगी है. 

- इस बार हज यात्रियों को 3.35 लाख से लेकर 4.07 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. 2019 में हाजियों ने अजीजिया कैटेगरी के लिए 2.36 लाख और ग्रीन कैटेगरी के लिए 2.82 लाख रुपये खर्च किए थे. ये रकम सऊदी सरकार की ओर से तय की जाती है. 

- दरअसल, हाजियों का अजीजिया और ग्रीन, दो कैटेगरी में चयन होता है. सऊदी में हरम शरीफ (काबा) के आसपास ग्रीन कैटेगरी में ठहराया जाता है, ताकि उन्हें कम चलना पड़े. वहीं, हरम शरीफ से 7 से 8 किलोमीटर दूर के इलाके अजीजिया कैटेगरी वालों के लिए होते हैं. इसलिए ग्रीन कैटेगरी वालों को ज्यादा खर्च करना पड़ता है. 

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हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए जाने से क्या फायदा?

2018 तक सरकार हज यात्रा पर सब्सिडी देती थी. हज यात्रियों को हवाई टिकट पर 25% तक की सब्सिडी दी जाती थी. हालांकि, अब इस हज सब्सिडी को बंद कर दिया गया है. इसे बंद करते समय सरकार ने कहा था कि इस सब्सिडी के पैसे का इस्तेमाल अल्पसंख्यक समुदाय की बेटियों की पढ़ाई पर होगा. 

2017 में केंद्र सरकार ने हज सब्सिडी के तौर पर एयरलाइंस को 1,030 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इसी तरह 2018 में 973 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई थी. हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए यात्रा करने पर ये सब्सिडी मिल जाती थी. लेकिन निजी ऑपरेटर के जरिए यात्रा करने पर कोई रियायत नहीं रहती थी.

क्या समुद्री रास्ते से जा सकते हैं?

1994 तक समुद्री रास्ते से भी सऊदी अरब जाकर हज यात्रा की जा सकती थी. लेकिन 1995 में इसे बंद कर दिया गया. तब से हवाई जहाज से ही हज के लिए जाया जाता है.

जनवरी 2018 में भारत सरकार और सऊदी सरकार में समझौता हुआ था, जिसमें समुद्री रास्ते से हज यात्रा को दोबारा शुरू करने की बात तय हुई थी. हालांकि, कोरोना के कारण ये पूरा नहीं हो सका. 

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समुद्री रास्ते से यात्रा हवाई यात्रा की तुलना में कम खर्चीली होगी. हालांकि, इसमें समय लगेगा. जानकारों के मुताबिक, पहले समुद्री रास्ते से भारत से सऊदी जाने में 10 से 15 दिन का समय लगता था, लेकिन अब ये यात्रा 3 से 4 दिन में पूरी हो सकती है. 

हज यात्रा में क्या-क्या होता है?

-हज यात्रा के पहले चरण में इहराम बांधना होता है. ये बिना सिला हुआ कपड़ा होता है, जिसे शरीर से लपेटना होता है. इहराम बांधने के बाद कुरान की आयतें पढ़ते रहना होता है. 

- इहराम के बाद काबा पहुंचना होता है. यहां नमाज पढ़नी होती है. काबा का तवाफ (परिक्रमा) करना होता है. काबा की तरफ रुख करके दुनियाभर के देशों से आए हाजी नमाज पढ़ते हैं.

- इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच में 7 चक्कर लगाने होते हैं. माना जाता है कि यही वो जगह है जहां हजरत इब्राहिम की पत्नी अपने बेटे इस्माइल के लिए पानी की तलाश करने पहुंची थीं.

- फिर मक्का से करीब 5 किलोमीटर दूर मीना जगह पर सारे हाजी इकट्ठा होते हैं और शाम तक नमाज पढ़ते हैं. अगले दिन अराफात नाम की जगह पर पहुंचते हैं और अल्लाह से दुआ मांगते हैं.

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- इसके बाद मीना में लौटकर आते हैं और यहां शैतान को कंकड़-पत्थर मारते हैं. शैतान को दिखाते हुए यहां तीन खंभे बनाए गए हैं, जहां हाजी 7-7 पत्थर मारते हैं. कहा जाता है कि ये वो जगह है जहां शैतान ने हजरत इब्राहिम को अल्लाह का आदेश न मानने के लिए बहकाने की कोशिश की थी.

- शैतान को पत्थर मारने के बाद आखिरी दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है. कहा जाता है कि अल्लाह की राह में हजरत इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे, उसकी याद में ही हाजी बकरा-भेड़ या ऊंट की कुर्बानी देते हैं. इसी के साथ हज खत्म हो जाता है.

 

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