आज निर्जला एकादशी है. साल भर में आने वाली सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक माना जाता है. निर्जला एकादशी के व्रत में ना ही कुछ खाया जाता है और ना ही पानी पीना होता है. निर्जला एकादशी के व्रत को सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का काफी महत्व होता है. निर्जला एकादशी के दिन लोग सभी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.
हरिद्वार की पवित्र गंगा नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आज गंगा स्नान कर रहे हैं. इस मौके पर हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड समेत विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने निर्जल व्रत रखकर स्नान किया. माना जाता है कि इस दिन निर्जल व्रत रखकर गंगा घाटों में स्नान कर पितरों की निमित पूजा करने से पुण्य प्राप्त होता है.
निर्जला एकादशी के मौके पर गंगा नदी में लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. पूरे मेला क्षेत्र को 4 सुपर जोन, 16 जोन और 38 सेक्टर में बांटा गया है और सुपर जोन की व्यवस्था एएसपी स्तर के अधिकारी देख रहे है.
निर्जला एकादशी पर सुबह सूर्योदय से लेकर और अगले दिन सूर्योदय होने तक निर्जल रहने का विधान बताया गया है परंतु गर्भवती स्त्रियों, पुरुषों जो वृद्ध हो या रोगी हो उनको निर्जल रहने का अधिकार नहीं है. वे सिर्फ उपवास रख सकते हैं और जल या फल का सेवन कर सकते हैं.
माना जाता है कि निर्जला एकादशी के दिन जल का दान करने से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और सभी पाप मिट जाते हैं. साथ ही इस दिन जल का दान करने से पितर भी खुश रहते हैं.