Karwa Chauth 2022: सुहागिन महिलाओं ने आज करवा चौथ का व्रत रखा है. इस व्रत का पारण चांद को अर्घ्य देने के बाद होता है. ऐसे में यदि खराब मौसम की वजह से या फिर किसी अन्य कारणवश चांद नहीं दिख पाता है, तो ऐसे में सवाल उठता है कि व्रत कैसे खोलें. बिना चांद देखे करवा चौथ का व्रत क्या तोड़ा जा सकता है, ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने इन सारे सवालों के जवाब दिए हैं.
चंद्रमा न दिखने पर ऐसे खोलें व्रत
1. अगर चंद्रमा बादलों में छिप गया है, तो भी आप शुभ मुहूर्त में पूजन कर सकती हैं.
2. अगर चांद ना दिखाई दे, तो भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन करें. फिर चंद्रमा की पूजा करके क्षमा याचना करें. इसके बाद पति की पूजा करके व्रत पूर्ण करें.
3. चंद्रोदय का सही समय जानकर करीबियों से पूछें कि चांद किस तरफ निकलता है. उस दिशा में मुंह करके पूजा कर व्रत का पारण करें.
4. चंद्रमा की आकृति के दर्शन करके भी व्रत का पारण कर सकते हैं, इसके लिए एक चौकी लाल कपड़ा बिछाएं. अब उस पर चावल से चांद की आकृति बनाएं.
5. ओम चतुर्थ चंद्राय नम: मंत्र का जाप कर चंद्रमा का आह्वान करें और पूजा करने के बाद व्रत का पारण कर लें.
पढ़ें ये कथा करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth 2022 Vrat Katha)
प्राचीन कथा के अुनसार एक गांव में करवा देवी अपने पति के साथ रहती थीं. एक दिन उनके पित नदी में स्नान करने के लिए गए. स्नान करने के दौरान मगरमच्छ ने करवा के पति का पैर पकड़ लिया और खींचकर नदी में अंदर की ओर ले जाने लगा. इस दौरान पति ने अपनी रक्षा के लिए पत्नी को पुकारा. पति की आवाज सुनकर करवा नदी के किनारे पहुंच गईं और मगरमच्छ को एक कच्चे धागे से पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व की वजह से मगरमच्छ हिल तक नहीं पाया. इसके बाद करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति का जीवन दान मांगा और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा. यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी पूरी नहीं हुई है, लेकिन तुम्हारे पति की आयु पूरी हो गई है. यमराज की ये बात सुनकर करवा क्रोधित हो गईं और उन्होंने कहा कि यदि उनके पति के प्राणों को कुछ हुआ, तो वे शाप दे देंगी. सती के शाप से डरकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवन दान दे दिया. साथ ही करवा को सुख-समृद्धि का वर दिया और कहा 'जो स्त्री इस दिन व्रत करके करवा को याद करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा. कहा जाता है कि इस घटना के दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी. तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है.