बुधवार एक नवंबर को भारत में करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं. रात के समय चंद्रमा की पूजा के साथ पति को देखते हुए यह व्रत तोड़ा जाता है. कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें किसी कारण अपने पति से दूर करवा चौथ मनाना पड़ता है. ऐसी सुहागिनों को कुछ चीजों का ध्यान रखना काफी जरूरी है.
करवा चौथ पर अगर आपके पति घर पर नहीं हैं तो सबसे पहले इस दिन सुबह उठते ही उनकी तस्वीर देखनी चाहिए. अगर फोन के जरिए उनसे बात हो पाए तो और ज्यादा अच्छा है. अपने पति की मन में छवि बनाकर करवा चौथ का व्रत शुरू करें, इससे पति और पत्नी के संबंध गहरे होंगे.
करवा चौथ पर कथा सुनने के बाद अपने पति को जरूर याद करें. इस दिन अगर आपके पति आपसे दूर रह रहे हैं तो उनसे प्यार से बात करें. व्रत खोलते समय ख्याल रहें कि पति की तस्वीर को देखकर ही व्रत खोलना है. व्रत खोलने के बाद अगर जब आप खाना खाएं तो फोन के जरिए अपने पति से बात करें.
करवा चौथ व्रत कथा?
करवा चौथ मनाने को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं. एक व्रत कथा है कि बहुत समय पहले एक साहूकार हुआ करता था, जिसके सात बेटे और एक बेटी थी. बेटी का नाम वीरवती था जिसे उसके भाई बहुत प्यार करते थे. प्रेम इतना था कि सारे भाई बहन को खाना खिलाकर ही खुद खाते थे.
समय बीता और बहन की शादी भी हो गई. एक बार वह मायके आई हुई थी. शाम को भाई जब काम से घर लौटे तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी. सभी भाई खाना खाने बैठ गए और अपनी बहन से खाना शुरू करने के लिए कहा. हालांकि, बहन ने मना कर दिया और बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है. उसने बताया कि चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खा सकती है.
बहन ने बताया कि वह खाना सिर्फ चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खा सकती है. चांद नहीं निकलने की वजह से ही वह भूख-प्यास से व्याकुल हो रही थी. ऐसा देखकर भाई दुखी हो गए और पीपल की आड़ में महताब आदि का सुन्दर प्रकाश फैला कर बनावटी चांद दिखा दिया.
वीरवती ने बनावटी को असली मान लिया और अपना व्रत तोड़ दिया. परिणाम यह हुआ कि उसका पति तुरंत अदृश्य हो गया. फिर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत किया. अगले साल फिर करवा चौथ आने पर उसने व्रत किया और अपने पति को पुनः प्राप्त किया.