Karwa Chauth 2024: पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए आज देशभर में सुहागनों ने करवा चौथ का व्रत रखा है. यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन निर्जला उपवास रखने से पति को लंबी आयु का वरदान मिलता है. शाम के समय सुहागनें चंद्र दर्शन कर छन्नी से पति का मुख देखती हैं. उनके हाथ से जल ग्रहण करती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं.
इस दिन मूलतः भगवान गणेश, गौरी और चंद्रमा की पूजा का विधान है. चंद्रमा को सामान्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है. इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख शांति और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यही कारण है कि इस दिन सुहागनों को चांद निकलने का बेसब्री से इंतजार रहता है. आइए आपको बताते बताते हैं कि इस बार दिल्ली-एनसीआर सहित देश के अन्य हिस्सों में चांद निकलने का क्या समय बताया जा रहा है.
शहर | समय |
दिल्ली | रात 08:15 |
गाजियाबाद | रात 08:16 |
नोएडा | रात 08:16 |
मुंबई | रात 08:36 |
कोलकाता | रात 07:22 |
चंडीगढ़ | रात 07:48 |
पंजाब | रात 07:48 |
जम्मू | रात 07:52 |
देहरादून | रात 07:24 |
शिमला | रात 07:47 |
पटना | रात 07:29 |
लखनऊ | रात 07:42 |
कानपुर | रात 07:47 |
प्रयागराज | रात 07:42 |
इंदौर | रात 08:15 |
भोपाल | रात 08:07 |
अहमदाबाद | रात 08:27 |
चेन्नई | रात 08:18 |
बंगलूरू | रात 08:30 |
जयपुर | रात 08:05 |
रायपुर | रात 07:43 |
करवा चौथ की पूजा का मुहूर्त क्या है?
करवा चौथ में मुख्यतः पहले गौरी गणेश की पूजा होती है. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. इस बार करवा चौथ की पूजा का मुहूर्त शाम 05.45 बजे से शाम 07.01 तक है.
चंद्र दर्शन की तैयारी और नियम
करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन के लिए थाली सजाएं. थाली में एक दीपक, सिन्दूर, अक्षत, कुमकुम, रोली और चावल की बनी मिठाई या सफेद मिठाई जरूर रखें. संपूर्ण श्रंगार करें और करवे में जलभर कर मां गौरी और भगवान गणेश की पूजा करें. चंद्रमा के निकलने पर छन्नी से चंद्रमा को देखें. फिर उसी छन्नी से अपने पति का मुख देखें और अर्घ्य दें. इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत खोलें. ध्यान रहे कि जल्दबाजी में किसी कहने पर चांद को देखने बिना या चांद निकलने से पहले व्रत न खोलें.
चंद्र दर्शन के नियम और विधि
करवा चौथ की रात चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देते हैं. फिर छलनी के अंदर एक दीपक रखकर उससे पहले चंद्रमा और फिर पति का चेहरा देखने की परंपरा होती है. इसके बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत का पारण किया जाता है. ध्यान रहे कि इसमें चंद्र दर्शन किए बगैर व्रत का पारण कभी नहीं किया जाता है. छत या आंगन से चंद्रमा के दर्शन के बाद बताई गई विधि से ही व्रत खोला जाता है.
कैसे दें चन्द्रमा को विशेष अर्घ्य?
अगर पति पत्नी के बीच में बेवजह झगड़ा होता है तो जल में ढेर सारे सफेद फूल डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें. अगर पति पत्नी के बीच में प्रेम कम हो रहा है तो जल में सफेद चंदन और पीले फूल डालकर अर्घ्य दें. अगर पति-पत्नी के स्वास्थ्य के कारण वैवाहिक जीवन में बाधा आ रही है तो पति-पत्नी एक साथ चन्द्रमा को अर्घ्य दें. जल में जरा सा दूध और अक्षत जरूर डाल लें. अगर नौकरी के कारण या जीवन में किसी अन्य कारण से पति-पत्नी के बीच में दूरियां आ गई हैं तो शंख से जल अर्पित करें. जल में थोड़ा सा इत्र मिला लें.