Lohri 2023: मकर संक्रांति से पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. लोहड़ी फसलों की बुआई और उनकी कटाई से जुड़ा पर्व है, जो इस साल शनिवार, 14 जनवरी को मनाया जाएगा. वैसे तो ये त्योहार पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है, लेकिन हरियाणा और पंजाब में इसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लोहड़ी के त्योहार पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने की भी परंपरा है. आइए आपको बताते हैं कि दुल्ला भट्टी कौन हैं और लोहड़ी पर इनकी कहानी क्यों सुनी जाती है.
क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार?
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई का त्योहार है. पंजाब और हरियाणा समेत उत्तर भारत की कई जगहों पर इस दिन नई फसल की पूजा की जाती है. फिर रात के समय लकड़ियों का ढेर लगाकर आग लगाते हैं और इसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली डालते हैं. इस आग की परिक्रमा करते हुए पुरुष भांगड़ा और महिलाएं गिद्दा करती हैं. हर साल इसी तरह लोहड़ी का जश्न मनाया जाता है.
लोहड़ी पर क्यों सुनते हैं दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी के दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने की भी परंपरा है. इस दिन दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने के पीछे एक बेहद दिलचस्प वजह है. ऐसा कहते हैं कि अकबर के शासन के वक्त पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स रहता था. यह वो समय था जब कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे. तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी.
दुल्ला भट्टी अकबर की नजर में तो एक डकैत था, लेकिन गरीबों के लिए वो किसी रॉबिनहुड से कम नहीं था. तभी से दुल्ला भट्टी को एक नायक के रूप में देखा जाता है और हर साल लोहड़ी पर उसकी कहानी सुनाई जाती है.
न्यूली मैरिड कपल के लिए क्यों खास है लोहड़ी?
लोहड़ी का त्योहार न्यूली मैरिड कपल और परिवार में जन्मे पहले बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. लोहड़ी के दिन घर में आई नई दुल्हन को उसकी ससुराल की तरफ से तोहफे दिए जाते हैं. घर में जन्मे पहले बच्चे को भी उपहार देकर परिवार में उसका स्वागत किया जाता है.