Lohri 2024: पौष के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद यानी माघ संक्रांति की पहली रात को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. ये पर्व मकर संक्रांति से ठीक पहले आता है और पंजाब और हरियाणा के लोग इसे बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. त्योहार पर हर जगह रौनक देखने को मिलती है. लोहड़ी के दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाने का रिवाज होता है. देशभर में 14 जनवरी यानी आज लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है.
लोहड़ी का पूजन मुहूर्त (Lohri 2024 Pujan Muhurat)
लोहड़ी पूजा के लिए आज 14 जनवरी शाम 5 बजकर 34 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. साथ ही आज रवि योग भी बनने जा रहा है जिसका समय सुबह 10 बजकर 22 मिनट से लेकर 15 जनवरी यानी कल सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
लोहड़ी पूजन विधि (Lohri Pujan Vidhi)
शुभ मुहुर्त में साफ-सुथरे खुले स्थान पर लकड़ी और सूखे उपलों का ढेर लगाकर आग जलाएं. अर्ध्य देने के बाद उसमें रेवड़ी, सूखे मेवे, मूंगफली, गजक अर्पित करें. इस पवित्र अग्नि की 7 परिक्रमा करें. परिक्रमा करते हुए इसमें रेवड़ी, मूंगफली, तिल आदि अर्पित करते जाएं. परिक्रमा पूरी करने के बाद बड़ों का आर्शीवाद लें.
लोहड़ी का महत्व (Lohri Significance)
लोहड़ी का त्योहार फसल की कटाई और बुआई के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग आग जलाकर इसके इर्द-गिर्द नाचते-गाते और खुशियां मनाते हैं. आग में गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक डालने और इसके बाद इसे एक-दूसरे में बांटने की परंपरा है. इस दिन पॉपकॉर्न और तिल के लड्डू भी बांटे जाते हैं. ये त्योहार पंजाब में फसल काटने के दौरान मनाया जाता है. लोहड़ी में इसी खुशी का जश्न मनाया जाता है. इस दिन रबी की फसल को आग में समर्पित कर सूर्य देव और अग्नि का आभार प्रकट किया जाता है. आज के दिन किसान फसल की उन्नति की कामना करते हैं.
सुनी जाती है दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी के दिन अलाव जलाकर उसके इर्द-गिर्द डांस किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी. कहते हैं तभी से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है.