उत्तर प्रदेश की संगमनगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है. इस महाकुंभ में अभी से ही श्रद्धालुओं का जुटना शुरू हो गया है. महाकुंभ से पहले आजतक ने प्रयागराज में धर्म संसद का आयोजन किया जिसमें काशी विश्वनाथ धाम के महंत श्रीकांत शर्मा, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर महाराज और ऋषिकेश परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती शामिल हुए.
इस दौरान उन्होंने कुंभ मेले के लिए बड़े पैमाने पर की गई व्यवस्था के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की. इसके साथ ही उन्होंने देश में सनातन धर्म की स्थिति और मेले की जमीन पर वक्फ के दावे समेत कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
धर्म संसद के 'धर्म युद्ध' सेशन में जब संजय शर्मा (एडिटर, नैशनल ब्यूरो आजतक) ने सवाल किया कि सनातन शब्द सबसे पुराना है लेकिन आजकल ये फैशन बन गया है. आजकल लोग कर रहे हैं कि जहां भी खोदो वहां सनातन मिलेगा.
इस पर काशी विश्वनाथ धाम के महंत श्रीकांत शर्मा कहते हैं, 'सनातन की परिभाषा यही है कि हम सत्य बोलें. प्रिय बोलें. यही हमारा सनातन है. इसके अलावा हमारा सनातन ये भी है कि हमारा जितने में पेट भरता है, बस वही हमारा है. उसके अधिक कोई व्यक्ति कुछ रखता है तो उस पर हमारा सनातन कहता है कि वो चोर है और दंड का भागी है. सनातन कोई फैशन नहीं है और जो इसे फैशन बनाएगा, वो गलत कर रहा है.'
एक-एक इंच जमीन वापस लेंगे
महंत श्रीकांत शर्मा ने आगे कहा कि सनातन का ना आदि है और ना अंत है, क्या हम अपनी धरती के नीचे है जो हमारी विरासत, अगर हम उसको नहीं पाएंगे तो उससे कोई असर नहीं पड़ेगा. इस पर श्रीकांत शर्मा ने कहा, 'क्यों नहीं पाएंगे, हम अपनी एक-एक इंच धरती को हासिल करेंगे. जैसा कि वो हमारे मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम अपनी जगह लेंगे. हमारी संस्कृति को बरसों से लोगों ने दबाया, छिपाया, ध्वस्त किया, हमारी अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया, उसे हम वापिस हासिल करेंगे.अधिकार लेने के लिए अपने बंधु को दंड देना भी धर्म है.ये सिद्धांत है सनातन का तो हम उसी सिद्धांत पर चल रहे हैं तो हम एक-एक इंच को लेंगे.'
वक्फ का अतिक्रमण हम सब देख रहे
इसके बाद जब देवकीनंदन से पूछा गया कि आजकल वक्फ बोर्ड और सनातन बोर्ड के बीच चर्चा चल रही है, उस पर आप क्या सोचते हैं, इस पर देवकीनंदन ने कहा, 'जिस समय यह देश आजाद हुआ, उस समय धर्म के नाम पर एक देश मांग लिया गया. उस देश को मांगने के बाद उसे इस्लामिक कंट्री कह दिया गया. उसके बाद हमारे देश में एक और बोर्ड बना गया जिसका नाम है वक्फ बोर्ड, और उस वक्फ बोर्ड का दुरुपयोग इतना हो रहा है कि वो कह रहे हैं कि जहां कुंभ हो रहा है वो जगह हमारी भी है. हालांकि हमारी सनातन की बात करेंगे तो रामचरित मानस में एक चौपाई है काहू को कहीं जहाँ प्रभु नाहीं..ऐसा कण बता दीजिए परमात्मा नहीं है. परमात्मा हर जगह व्याप्त है. अगर किसी के अंदर उस भगवान को देखने का सामर्थ्य है तो खंभे में भी भगवान है, बस देखने के लिए प्रहलाद चाहिए. हम लोगों में प्रहलाद वाली दृष्टि नहीं है इसलिए हमें भगवान दिखता नहीं.'
वो कहते हैं कि वक्फ बोर्ड बनाया गया और वक्फ बोर्ड का अतिक्रमण हम सब देख रहे हैं. जब बना था तब थोड़ी सी जमीन थी और आज वो जमीन 9 लाख एकड़ से ज्यादा है. हमें सनातन बोर्ड इसलिए चाहिए क्योंकि हमारे मंदिर सरकार के अंडर में हैं. तिरुपति से हर साल सरकार 500 करोड़ लेती है. इसी पैसे का इस्तेमाल गरीब बच्चों को पढ़ाने-लिखाने की व्यवस्था में किया जा सकता है इसलिए एक सनातन बोर्ड की जरूरत है. सरकारों ने गुरुकुल खत्म कर दिए. हमारे भगवान को पशुओं की चर्बी का भोग लगाया गया. आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखना चाहते हैं, मंदिरों को सुरक्षित चाहते हैं तो सनातन बोर्ड चाहिए.
इस पर जब ऐंकर ने कहा कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जो मिलावट की गई, उसमें वक्फ बोर्ड का हाथ नहीं था बल्कि हमारे ही धर्म के लोग थे, फिर ये चीजें कैसे हो गईं. तो इस पर देवकीनंदन ने कहा, 'मैं बता दूं कि उसमें ठेका देने वाले वही लोग थे जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है. उन्होंने ठेका इसलिए दिया था कि ताकि वो पैसा बचा सकें.'
'300 रुपये में घी मिलेगा कहीं. उस समय जो संस्था के प्रेसिडेंड थे, वो वहीं के सीएम थे और वो उस समय के प्रेसिडेंट हिंदू धर्म पर भरोसा नहीं करते थे. वो प्रसाद हम सभी तक पहुंचा, उनके द्वारा हमारा धर्म भ्रष्ट किया गया. ये सोची-समझी प्लानिंग है. जिन्होंने सनतानी को धर्म भ्रष्ट किया तो सजा मिलनी चाहिए, ये संविधान का अपमान किया है. गुनाह किया है. हमारे सनातन में व्यक्ति की मृत्यु से धर्म भ्रष्ट करने पर ज्यादा सजा मिलनी चाहिए.'
हमारा सनातन बोर्ड और पर्सनल कोर्ट होगा, जैसा वक्फ के पास
27 जनवरी को धर्म संसद होगी. सनातन बोर्ड को जोर-शोर से हम बनाने में लगे हैं. वो हमें कृष्ण जन्मभूमि देगी. जामा मस्जिद की सीढ़ी के नीते जो ठाकुरजी है, वो भी लाकर देगी.
सरकार और अदालत नहीं तय करेगी हमारे प्रभु कब सोएंगे और खाएंगे
अदालतें ये डिसाइड नहीं करेंगी कि पूजा कैसे होगी. मेरे भगवान कब सोएंगे, कब जागेंगे. संविधान कहता है सबको बराबर अधिकार है. सबकी अपनी संस्था है. सनातन के लिए क्या है. सनातनी मंदिरों की सरकारें ले लेगी. आजादी के बाद सनातनी का शोषण किया है.
आजादी के बाद कोई मुस्लिम और ईसाई PM नहीं बना लेकिन फिर भी हिंदुओं का शोषण हुआ
आजादी के बाद से मुझे तो याद नहीं है कि कोई हमारे देश में मुस्लिम या ईसाई प्रधानमंत्री बना, लेकिन फिर भी हमारे मंदिरों को सरकार ने अपने अंडर में ले लिया. हिंदुओं का शोषण किया. बड़े भाई-भाई बोलकर हमारा कुर्ता उतार लिया.हमारे सारे अधिकार छीन लिए गए इसलिए हमारी सभी परंपराओं की सुरक्षा के लिए हमारा पर्सनल बोर्ड, पर्सनल कोर्ट होना चाहिए. जैसा वक्फ बोर्ड के पास है. हम मथुरा की लड़ाई उस कोर्ट में लड़ेंगे.
'मुसलमान अपनी जड़ें पहचानें'
काशी विश्वनाथ धाम के महंत श्रीकांत शर्मा ने इस दौरान कहा, 'मशहूर फिल्म निर्देशक बी.आर. चोपड़ा जिन्होंने महाभारत बनाई थी, उन्होंने कहा था कि भारतीय मुसलमान अगर पाकिस्तान भूल जाए तो देश में एकता हो सकती है. तो इनके अंदर से एक तो पाकिस्तान निकल जाए और दूसरा ये मान लें कि हमारा मूल यहीं है. अगर वो इस मूल अस्तित्व को पहचान लेंगे तो सब चीजें ठीक हो जाएंगी. जहां-जहां भी हमारा अस्तित्व है, उसकी रक्षा हम करेंगे. हम तो अपने धर्म की रक्षा अपने प्राणों की आहुति देकर भी करेंगे.हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र में प्रधानमंत्री की छाया में हमारा अस्तित्व मजबूत होगा. जिन्होंने हमारे अस्तित्व को दबाया, उन्हें भी अब आगे आना चाहिए. उन लोगों को हमारी संपत्ति वापिस दे देनी चाहिए.'
इसके बाद देवकीनंदन कहते हैं. 'मैं यहां आप सभी से छोटा हूं लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि महाराज जी कितना भी दूध पिला लो, वो डसना नहीं छोड़ेगा. मैं यहां दूसरी बात कह रहा हूं. व्यक्ति अपना वस्त्र बदल सकता है लेकिन स्वभाव नहीं बदल सकता. दुर्भाग्य से हमनें बांग्लादेश देखा और उसके बाद भी हम ये आशा कर रहे हैं कि कि वो हमारे साथ भाई-चारा निभाएंगे. ये असंभव है. अगर आज जो हिंदू इस बात को समझ नहीं रहा है वो कल बांग्लादेश को निमंत्रण दे रहा है, इस देश में. ये फैक्ट है. इसे कोई बदल नहीं सकता.'
मोदी जी ने कहा, सबका साथ, सबका विकास, फिर भी उनके वोट कटे
हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नारा दिया था सबका साथ, सबका विकास. सभी का विकास हुआ लेकिन 24 में सरकार का विकास नहीं हो पाया. क्योंकि हम जिनका विकास करना चाहते हैं, उनका लक्ष्य हमारा विनाश करना है. बांग्लादेश में जिस इस्कॉन ने लोगों को रोटी खिलाई थी, उन्हीं इस्कॉन मंदिरों को जलाया गया. वहीं मंदिरों में जाकर मूर्तियां तोड़ी गईं और जिन्होंने आवाज उथाई, वो जेल के अंदर हैं. एक जगह को छोड़ भी दें तो ये पाकिस्सान, बांग्लादेश, अफिगानिस्तान, संभल हर जगह है.
हमारी जिम्मेदारी अपनी पाढ़ियों को बचाना, संस्कृति बचाना. ये हमारी पहली जिम्मेदारी है. हमारी दुर्दशा इसलिए हुई कि क्योंकि हमनें रोटी कपड़ा मकान पर फोकस किया. हमने धर्म की रक्षा नहीं की. अगर आप धर्म को नहीं जानते गलत नहीं लेकिन जानना नहीं चाहते, ये गलत है. 99 पर्सेंट हिंदू के बच्चे नहीं जानते कि गीता में क्या लिखा है. आजादी के बाद ऐसा एजुकेशन सिस्टम लागू किया गया है. हमें अपने लिए सनातन बोर्ड बनाना होगा. राम श्रेष्ठ पिता, पति, बेटे, मित्र उनका चरित्र उज्जवल था जो हमारे बच्चों को जानना चाहिए. रामायण पढ़ेंगे तो राम-सीता बनेंगे. बॉलीवुड देखेंगे तो बॉलीवुड जैसे बनेंगे. आप कह रहे हैं कि मंदिर क्यों ढूंढ़ें जा रह हैं मंदिर इसलिए ढूंढ़े जा रहे हैं क्योंकि उन जगहों पर मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई.
मंदिर तोड़कर बनाई गईं मस्जिदें
मैं कहना चाहता हूं, 'मस्जिदें बनाई गई थीं मंदिर को तोड़कर, क्या मस्जिद बन नहीं सकती थीं मंदिरों को छोड़कर'.क्या उस समय जगह की कमी थी. कोई कमी नहीं थी, उस समय तो इतने लोग भी नहीं थे. अब वो बारी आ गई है. मोदी जी वक्फ बोर्ड का नामोनिशान चेक करेंगे और मैं योगी से कहूंगा कि खुदाई करो, तब पता चलेगा खुदा की खुदाई.