Mahananda Navami 2022: महानंदी नवमी आज फरवरी, 2022 दिन गुरुवार को मनाई जा रही है. आज के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इस दिन व्रत का संकल्प लेकर मां लक्ष्मी को अक्षत, धूप, अगरबत्ती, और भोग आदि अर्पित करें. रात्रि जागरण करने से भी देवी मां प्रसन्न होती हैं. ज्योतिष के अनुसार मां लक्ष्मी की पूजा के बाद महानंदा नवमी की व्रत कथा भी जरूर पढ़नी चाहिये या सुननी चाहिए. आइये बताते हैं क्या है महानंदा नवमी की व्रत कथा?
महानंदा नवमी की व्रत कथा
एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी. जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर लक्ष्मी जी का वास था. एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा ‘मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ’. लड़की ने कहा की ‘मैं अपने पिता से पूछ कर आऊंगा’. यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने ‘हां’ कर दी. दूसरे दिन से साहूकार की बेटी ने सहेली बनना स्वीकार कर लिया. दोनों अच्छे मित्रों की तरह आपस में बातचीत करने लगे. एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई. अपने घर में लक्ष्मी जी उसका दिल खोल कर स्वागत किया. उसकी खूब खातिर की. उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे. मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी.
साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई. उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी. साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी को समझाया, कि तू फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ-सफाई कर. चार बत्ती के मुख वाला दिया जला और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा. उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके पास डाल गया. साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर भोजन की तैयारी की. थोड़ी देर में श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी उसके घर आ गई. साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की, उसकी खातिर से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई. और साहूकार बहुत अमीर बन गया.
महानंदा नवमी तिथि व मुहूर्त
महानंदा नवमी तिथि 09 फरवरी, 2022 को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी, जो 10 फरवरी, 2022 को सुबह 11 बजकर 08 बजे समाप्त होगी. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि नवमी तिथि पर 10 फरवरी को सूर्योदय होगा, इसलिए कुछ स्थानों पर उदयातिथि में भी महानंदा नवमी की पूजा की जाएगी.