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सोम प्रदोष व्रत आज, 1 मार्च को महाशिवरात्रि, अब 20 साल बाद बनेगा ऐसा महासंयोग

सोमवार, 28 फरवरी को यानी आज सोम प्रदोष व्रत है, जबकि मंगलवार, 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. भगवान शिव को समर्पित ये दोनों ही दिन पूजा के लिए बहुत ही शुभ माने जा रहे हैं.

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28 फरवरी को सोम प्रदोष व्रत, 1 मार्च को महाशिवरात्रि, 20 साल बाद बनेगा ऐसा महासंयोग
28 फरवरी को सोम प्रदोष व्रत, 1 मार्च को महाशिवरात्रि, 20 साल बाद बनेगा ऐसा महासंयोग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भगवान शिव को समर्पित ये दोनों ही दिन पूजा के लिए शुभ
  • अब 2042 में बनेगा ऐसा महासंयोग

शिवरात्रि पर इस बार दो दिन के शिव पर्व का महासंयोग बन रहा है. सोमवार, 28 फरवरी को यानी आज सोम प्रदोष व्रत है, जबकि मंगलवार, 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. भगवान शिव को समर्पित ये दोनों ही दिन पूजा के लिए बहुत ही शुभ माने जा रहे हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि इससे पहले 12-13 फरवरी 2018 को ऐसा संयोग बना था और अब 20 साल बाद यानी 2042 में ऐसा महासंयोग बनेगा.

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महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव का प्राकट्य हुआ था. इसके अलावा शिवजी का विवाह भी इसी दिन माना जाता है. इस दिन महादेव की उपासना से व्यक्ति को जीवन में सम्पूर्ण सुखों की प्राप्ति हो सकती है. शिवरात्रि पर व्रत, उपवास, मंत्र जाप और रात्रि जागरण का विशेष महत्व बताया गया है.

महाशिवरात्रि इस बार क्यों है खास?
ज्योतिषियों की मानें तो महाशिवरात्र पर इस बार शिवयोग के साथ ही मकर राशि में पंचग्रही योग का निर्माण होगा और कुंभ राशि में सूर्य-गुरु की युति बनेगी. ग्रहों के इस दुर्लभ संयोग में भगवान शिव की उपासना अधिक फलदायी मानी जा रही है. इस दिन भगवान शिव की उपासना करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है.

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वहीं, 28 फरवरी को सोम प्रदोष व्रत पर सर्वार्थसिद्धि योग में भी भगवान शिव की पूजा करना भक्तों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है. इस दिन सर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले भोलेनाथ की पूर्ण विधि-विधान से पूजा करें. ऐसा करने से जाने-अनजाने हुए पापों का प्रायश्चित हो जाता है. महाशिवरात्रि से पहले सोम प्रदोष व्रत का आना बहुत ही शुभ माना जा रहा है.

महाशिवरात्रि पर कैसे करें शिवजी की पूजा?
इस दिन सुबह स्नान करके शिव पूजा का संकल्प लें. सूर्य को अर्घ्य दें और शिवजी को जल अर्पित करें. इसके बाद पंचोपचार पूजन करके शिवजी के मंत्रों का जाप करें. रात में शिव मंत्रों के अलावा रुद्राष्टक या शिव स्तुति का पाठ भी कर सकते हैं. अगर चार पहर पूजन करते हैं तो पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से पूजा करें. हर पहर में जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए. इस दिन तमाम समस्याओं से मुक्ति पाने के प्रयोग भी होते हैं.

 

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