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Matri Navami 2021: पितृ पक्ष की मातृ नवमी आज, श्राद्ध में इस विधि से चुकाएं मातृ ऋण

मातृ नवमी (Matri Navami 2021) के दिन घर की उन सभी महिलाओं की पूजा की जाती है, जिनका निधन हो चुका है. मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से माताओं का आशीर्वाद मिलता है और श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकानाएं पूरी होती हैं. इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है.

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मातृ नवमी को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है
मातृ नवमी को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • श्राद्ध की मातृ नवमी आज
  • मातृ ऋण उतारने का शुभ दिन
  • इसे सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है

आज पितृ पक्ष की मातृ नवमी (Matri Navami 2021) है. श्राद्ध  (Shraddh 2021) में इस दिन का विशेष महत्व होता है. इस दिन घर की उन सभी महिलाओं की पूजा की जाती है, जिनका निधन हो चुका है. मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से माताओं का आशीर्वाद मिलता है और श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकानाएं पूरी होती हैं. पितृ पक्ष की मातृ नवमी को सौभाग्यवती नवमी भी कहते हैं. इस दिन मातृ ऋण से भी मुक्ति पाई जा सकती है.

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मातृ ऋण कैसे पहचानें- जीवन में सबसे बड़ा ऋण हमारी माता का ही होता है. चतुर्थ भाव, चन्द्रमा और शुक्र मुख्य रूप से माता और उसके सम्बन्ध के बारे में बताते हैं. अगर कुंडली में राहु का सम्बन्ध चतुर्थ भाव चन्द्रमा या शुक्र से हो तो समझना चाहिए कि कुंडली में मातृ ऋण है. हाथों का कठोर होना और हथेलियों का काला होना भी मातृ ऋण के बारे में बताता है. मातृऋण का शोधन न कर पाने पर, तमाम तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. मातृऋण का शोधन मातृनवमी पर सरलता के साथ किया जा सकता है.

कुंडली में मातृऋण है तो मातृनवमी पर करें ये उपाय- मातृ नवमी के दिन सम्पूर्ण श्रृंगार की सामग्री ले आएं. इसमें लाल रंग की साड़ी, सिन्दूर, बिंदी और चूड़ियां जरूर रखें. सम्पूर्ण भोजन बनायें, भोजन में उरद की बनी हुई वस्तुएं जरूर रखें. अब किसी सौभाग्यवती स्त्री को सम्मान सहित घर बुलाएं, उसे भोजन कराएं. उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार की सामग्री भेंट करें और आशीर्वाद लें.

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ऐसे करें मातृ नवमी का श्राद्ध- मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर की बहुओं को उपवास रखना चाहिए. इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है. इस दिन गरीबों  या ब्राह्मणों को भोजन कराने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सुबह स्नान करने के बाद घर की दक्षिण दिशा में हरा वस्त्र बिछाएं. सभी पूर्वज-पितरों के फोटो या प्रतीक रूप में एक सुपारी हरे वस्त्र पर स्थापित करें. पितरों के निमित्त, तिल के तेल का दीपक जलाएं, सुगंधित धूप जलाएं, जल में मिश्री और तिल मिलाकर तर्पण करें. इस दिन परिवार की पितृ माताओं का विशेष श्राद्ध करें और आटे का एक बड़ा दीपक जलाएं. पितरों की तस्वीर पर तुलसी की पत्तियां अर्पित करनी चाहिए. गरीबों या ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री के साथ भोजन दें. भोजन कराने के बाद धन-दक्षिणा देकर इन सभी को विदा करें.

मातृ नवमी का महत्व- श्राद्ध में मातृ नवमी के दिन माताओं की पूजा होती है इसलिए इस दिन का खास महत्व माना जाता है. मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से जातकों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. शास्त्रों के अनुसार मातृ नवमी का श्राद्ध करने वालों को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य प्राप्त होता है और इनका सौभाग्य हमेशा बना रहता है.

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