Kalash Sthapana Muhurt Timing: इस साल शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होने वाले हैं. इसमें देवी की उपासना से पहले घटस्थानपना की जाती है. घटस्थापना में मां दुर्गा की चौकी के पास एक पवित्र कलश की स्थापना होती है. इस पवित्र कलश को स्थापित करने के बाद ही देवी की उपासना का फल हमें मिल पाता है. इस बार शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना सोमवार, 26 सितंबर को शुभ मुहूर्त के तहत की जाएगी. इस दिन एक अशुभ मुहूर्त ऐसा भी होगा जिसमें कलश स्थापना करने से बचना है.
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त ( Navratri ghatsthapna muhurt)
शारदीय नवरात्रि की घटस्थापना सोमवार, 26 सितंबर को की जाएगी. इस दौरान सुबह 06 बजकर 28 मिनट से लेकर 08 बजकर 01 मिनट तक देवी का पवित्र कलश स्थापित किया जाएगा. इसकी कुल अवधि 01 घंटा 33 मिनट की होगी. अगर आप किसी कारणवश इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित न कर पाएं तो सुबह 11 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में ये काम कर सकते है.
इस अशुभ घड़ी में ना करें कलश की स्थापना
नवरात्रि में कलश स्थापना करने के लिए शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखना बहुत जरूरी होता है. गलत समय में कलश की स्थापना करने से मां दुर्गा की पूजा का शुभ फल आपको नहीं मिल पाएगा. ज्योतिषियों की मानें तो नवरात्रि का कलश राहु काल में स्थापित नहीं करना चाहिए. हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा पर सुबह 9 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक राहु काल रहेगा. इस अशुभ मुहूर्त में भूलक भी कलश स्थापित ना करें.
कलश स्थापना की पूजन सामग्री
नवरात्रि में कलश स्थापना पर कुछ खास चीजों की आवश्यक्ता पड़ती है. कलश स्थापना की तैयारी एक दो दिन पहले कर लें तो बेहतर होगा. कलश स्थापना के लिए मिट्टी का एक बर्तन, कलश, सूखा नारियल, माता के श्रृंगार की सामग्री, चुनरी, कलावा, सात तरह के अनाज, कलावा, गंगाजल, अशोक या आम के पत्ते, फूल और माला, लाल रंग का कपड़ा, मिठाई, सिंदूर और दूर्वा आदि. कलश स्थापना में इन सभी चीजों की जरूरत पड़ती है.
कलश स्थापना की विधि
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर सवेरे-सवेरे जल्दी स्नान करके पूजा और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल की सजावट करें और चौकी रखें जहां पर कलश में जल भरकर रखें. फिर कलश पर कलावा लपेटें. इसके बाद कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते लगाएं. इसके बाद नारियल को लाल चुनरी में लपटेकर कलश पर रख दें. इसके बाद धूप, दीप जलाकर मां दुर्गा का आवाहन करें और शास्त्रों के मुताबिक मां दुर्गा की पूजा-उपासना करें.