Neem Karoli Baba: जीवन में हर इंसान कभी न कभी जाने-अनजाने भूल जरूर करता है. गलतियां होना स्वाभाविक है. लेकिन कुछ गलतियां ऐसी होती हैं, जो भूलवश भी नहीं करनी चाहिए. इस विषय में नीम करोली बाबा ने विस्तार से जानकारी दी है. नीम करोली बाबा का नाम 20वीं सदी के महान संतों में गिना जाता है. लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार कहते हैं. नीम करोली बाबा ने बताया था कि इंसान को भूलकर भी कौन सी तीन बड़ी गलतियां नहीं करनी चाहिए.
1. सेवा का गुणगान- नीम करोली बाबा ने अपने तीन मुख्य शिक्षा स्तम्भों में सेवा करने को सर्वोपरि माना है. जो लोग बिना स्वार्थ दूसरों की सेवा करते हैं. उन्हें ईश्वर किसी न किसी रूप में फल अवश्य देते हैं. लेकिन कुछ लोग जाने-अनजाने सेवा करने का बखान या गुणगान दूसरों के सामने करने लगते हैं. कुछ लोगों में अक्सर ये आदत देखी जाती है. सेवा या परोपकार करना बहुत अच्छी बात है. लेकिन किसी भी तरह के दान, श्रम या सहायता का बखान दूसरों के सामने नहीं करना चाहिए.
महाराज जी कहते हैं कि हमें सेवा भाव से किए गए कार्यों को हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए. जब आप ऐसे किसी कार्य का गुणगान करते हैं तो आपकी सहायता का जो मूल्य है, वो शून्य हो जाता है. जो आप कभी भी नहीं चाहेंगे. निस्वार्थ रूप से की गई सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती है. ईश्वर आपको इसका फल अवश्य देंगे.
2. झूठ और अन्याय का साथ- नीम करोली बाबा कहते हैं कि हमें सदैव सच और न्याय का साथ देना चाहिए. इन सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों के जीवन में थोड़ी कठिनाइयां जरूर आती हैं. लेकिन ईश्वर न्याय प्रिय लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ते हैं. महाराज जी कहते हैं कि हमें कभी किसी का हक नहीं मारना चाहिए. हमें कभी किसी के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए. अगर आप सत्य पर डटे रहेंगे तो ईश्वर आपके साथ खड़े रहेंगे.
3. असमानता का भाव- नीम करोली बाबा कहते हैं कि जो इंसान जीवन में असमानता का भाव रखता है, उसे कभी सम्मान और सफलता की प्राप्ति नहीं होती है. अमीर-गरीब या ऊंच-नीच का भेद मन में रखने वाले को कभी ईश्वर का आशीर्वाद नहीं मिलता है. महाराज जी कहते हैं कि समाज में रहने वाले प्रत्येक जन एकसमान हैं. सभी को ईश्वर ने अपनी दिव्यता से परिपूर्ण किया है. सभी में ईश्वरीय स्वरूप विद्यमान हैं.
महाराज जी कहते हैं कि सभी इंसानों के अंतर्मन में प्रभु श्रीराम को देखिए. ईश्वर के स्वरूप को पहचानिए. इसके बाद आपको प्रत्येक जन से प्रेम हो जाएगा. इस पूरे समाज में आपका कभी कोई शत्रु नहीं होगा. समाज में आपको एक प्रिय दर्जा प्राप्त हो जाएगा. सृष्टि के हर पात्र से जुड़िए. हर पात्र से प्रेम करिए और असमानता के भाव का अभी से त्याग कर दीजिए. फिर आप देख सकेंगे कि ईश्वर ने हमें कितनी दिव्यता प्रदान की हुई है. हम कितने भाग्यशाली हैं जो ईश्वर ने हमें इस धरा पर जन्म दिया है. मानव देह मिलना ही अनमोल रत्न के समान है. इसलिए इस जीवन को व्यर्थ न जाने दें. अच्छी शिक्षाओं को अपनाएं.