Neem Karoli Baba Tips: नीम करोली बाबा को चमत्कारिक बाबा में से एक माना जाता है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में सन् 1900 के आस पास हुआ था. उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते हैं. वे एक सीधे सादे सरल व्यक्ति थे. नीम करोली बाबा को भक्ति योग से भगवान की उपासना करने वाला बताया जाता है. नीम करोली बाबा ने हमेशा दूसरों की सेवा पर जोर दिया. वो इसे भगवान की भक्ति का सबसे अच्छा माध्यम मानते थे. नीम करोली बाबा जीवन की हर परेशानियों से मुक्त होने की बातें बताई हैं. जो लोग जीवन में ज्यादा परेशान रहते हैं उनके लिए नीम करोली बाबा ने कुछ खास बातों का जिक्र किया है.
करें सिर्फ ईश्वर की प्रार्थना
नीम करोली बाबा का कहना था कि मनुष्य अपनी चिंताओं को कभी समाप्त नहीं कर सकता है. उसका कारण है कि मनुष्य एक तरफ भगवान को मानता है और एक तरफ ये भी सोचता है कि क्या मेरी परेशानियां कभी खत्म होंगी. ईश्वर को मानने वाला और चिंता करने वाला दोनों ही मस्तिष्क के एक छोर पर नहीं बैठ सकता. मतलब कि अगर आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. और अगर आप चिंता करते हैं तो आपको ईश्वर पर विश्वास नहीं हैं.
चिंताओं से रहें मुक्त
महाराज जी कहते थे कि मनुष्य किसी चीज को प्राप्त करने जाता है लेकिन किसी चीज को लेकर लौटता है. उनका मानना था कि कर्म तो हम करते ही हैं लेकिन हम ईश्वर से जो भी प्रार्थनाएं करते हैं, वो भी हमारे लिए बेहद आवश्यक है. लेकिन जीवन में हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि जो हम चाहते हैं वो हमें हमेशा मिले. वो कहते थे कि ईश्वर जो करते हैं उसमें ही सबकी भलाई होती है. कभी ऐसा भी होता है कि जो हम मांगते हैं, वो हमें मिल जाता है. लेकिन जब इच्छा पूरी न हो तो इसका मतलब ईश्वर ने हमारे लिए कुछ और सोचा है. महाराज जी कहते थे कि मनुष्य इच्छा किसी ओर चीज की करता है लेकिन उसे प्राप्त कुछ ओर होता है.
कर्मों पर दें ध्यान
नीम करोली बाबा ऐसा कहते थे कि बहुत सारे परिणाम हमारे कर्मों पर निर्भर करते हैं. यदि हमारे कर्म बुरे नहीं होते हैं तो हमें अप्रत्याशित यानी अच्छा फल भी प्राप्त होगा और अगर हमारे कर्म बुरे हैं या हम किसी के बारे में बुरा सोचते हैं तो कुछ कर्म बंधन से कटने के पश्चात जो फल बचता है ये सृष्टि उसके अनुरूप हमें फल देती है.
कर्मों के हिसाब से फल होगा प्राप्त
नीम करोली बाबा का मानना था कि मनुष्य को कभी ऐसी कामना नहीं करनी चाहिए जिससे उसका जीवन खराब हो जाए. बल्कि अपने कर्मों पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए. मिलेजुले परिणाम तब प्राप्त होते हैं जब मनुष्य अच्छे कर्मों के साथ जाने अनजाने में कुछ गलत काम कर बैठता है. इसलिए महाराज जी का कहना था कि चिंता बिल्कुल मत कीजिए बस चिंतन पर ध्यान दीजिए.
चिंता और चिंतन क्या होता है
चिंता और चिंतन दोनों का अर्थ बिल्कुल अलग है. चिंता मूर्ख लोग करते हैं और ना ही चिंता करना हमारा कार्य है. हमारा कार्य है कि अपने कर्मों को अच्छे से करें. सदैव हर कार्य में अपना सर्वश्रेष्ठ दें. यदि आप जीवन में किसी भी व्यवसाय से जुड़े हैं तो उसमें भी सभी कार्य अच्छे से करें. महाराज कहते थे कि किसी भी कार्य को अंजाम देने से पहले उसपर चिंतन जरूर करें और उसके बाद उस कार्य को करें. कार्य को करने के बाद उसकी चिंता बिल्कुल न करें और उसे कार्य को ईश्वर के भरोसे छोड़ दें.
सकारात्मक परिणाम के बारे में सोचे
चिंता न करें, सिर्फ चिंतन करें यही चिंतामुक्ति का सबसे बड़ा नियम है. महाराज जी कहते थे कि मनुष्य को अपन मन में ऐसी कोई मंशा नहीं बनानी चाहिए जिससे मन को कोई ठेस पहुंचे. मन में मंशा तब बनाएं जब आपने कोई कार्य किया है. कार्यों में सकारात्मक परिणाम तब प्राप्त होगा जब आपने परिश्रम बहुत किया हो. नकारात्मकता से दूर रहिए. ईश्वर पर भरोसा रखिए.