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पशुओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए मांगी जाती है मन्नत, कामना पूरी होने पर घंंटा चढ़ाने आते हैं पशुपालक

Bhai Dooj 2023: जिन मवेशियों की प्रजनन क्षमता कम होती है या किसी बीमारी से ग्रस्त होते हैं, ऐसे मवेशियों के लिए मन्नत मांगी जाती है. मंदिर से घंटी की पूजा करवाकर मवेशी के गले में बांधी जाती है. जब मवेशी स्वस्थ हो जाता है और मन्नत पूरी हो जाती है तो पशुपालक एक के बदले दो घंटियां मंदिर में चढ़ाता है.

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गुना जिले के बरोदिया गांव में कारसदेव का मंदिर.
गुना जिले के बरोदिया गांव में कारसदेव का मंदिर.

MP News: गुना जिला मुख्यालय से 13 किमी की दूरी पर बरोदिया गांव में स्थित है प्रसिद्ध कारसदेव का मंदिर. ये मंदिर अपने आप में इसलिए अनोखा है, क्योंकि यहां पशुओं की सेहत के लिए मन्नत मांगी जाती है.

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दीपावली की दूज के दिन बरोदिया गांव में कारसदेव मंदिर पर मेला लगता है. इस मेले में हजारों की संख्या में पशुपालक पहुंचते हैं. मान्यता है कि मंदिर में मन्नत मांगने के बाद कारसदेव भगवान स्वयं मवेशियों की रक्षा करते हैं. जिन मवेशियों की प्रजनन क्षमता कम होती है या किसी बीमारी से ग्रस्त होते हैं, ऐसे मवेशियों के लिए मन्नत मांगी जाती है.

मंदिर से घंटी की पूजा करवाकर मवेशी के गले में बांधी जाती है. जब मवेशी स्वस्थ हो जाता है और मन्नत पूरी हो जाती है तो पशुपालक एक के बदले दो घंटियां मंदिर में चढ़ाता है.

कारसदेव भगवान के प्रति श्रद्धालु अपनी आस्था प्रकट करते हैं. मन्नत मांगने वाले लोग मन्नत पूरी होने के बाद दूध, घी,आटे का चढ़ावा भी चढ़ाते हैं. मेले में बड़े पैमाने पर भंडारा आयोजित किया जाता है.

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हजारों की तादाद में पशुपालक कारसदेव मेले में पहुंचते हैं. मंदिर में भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग, हनुमान जी की प्रतिमा भी है. शिवलिंग पर खीर चढ़ाने का भी महत्व है.

अपने आप में अनोखे कारसदेव भगवान के मंदिर के प्रति लोगों की गहरी श्रद्धा है. बरोदिया गांव के जंगल में मंदिर स्थित है. मंदिर के आसपास मवेशियों की घंटियां बंधी हुई हैं. प्राचीन समय से मवेशियों की सुरक्षा और उत्तम स्वास्थ्य की कामना लेकर श्रद्धालु मंदिर पर आते हैं. दीपावली की दूज यानी दूसरे दिन यहां पूजा का विशेष महत्व है.

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