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प्रसाद में पान, 13 तरह की बीमारियां ठीक करने का दावा, IIT वाले के बाद अब 'पान बाबा' वायरल

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह के बाद अब पान वाले बाबा वायरल हो रहे हैं. वो भक्तों को प्रसाद के रूप में पान देते हैं जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि इससे 13 तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं. इनका नाम महंत गिरधारी दास 1008 है जो मूल तौर पर राजस्थान के रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें बचपन से पान खिलाने का शौक है.

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पान वाले बाबा करते हैं पान से इलाज
पान वाले बाबा करते हैं पान से इलाज

प्रयागराज के संगम तट पर चल रहे महाकुंभ 2025 में आईआईटी वाले बाबा से लेकर रबड़ी वाले बाबा तक सोशल मीडिया पर हलचल मचाए हुए हैं. ऐसे में एक और बाबा अब खूब वायरल हो रहे हैं जिन्हें लोग पान वाले बाबा के नाम से जानते हैं.

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पान से 13 तरह की बीमारियों ठीक करने का दावा

दरअसल ये बाबा प्रसाद के रूप में भक्तों और श्रद्धालुओं को पान खिलाते हैं. इनके पान को लेकर दावा किया जाता है कि बाबा इसके जरिए 13 तरह की बीमारियों को दूर कर देते हैं. पान वाले बाबा के इर्द-गिर जो लोग भी मौजूद होते हैं बाबा उनके लिए पान लगवाते हैं. बताया जा रहा है कि पान खिलाने का बाबा का शौक दशकों पुराना है.

इस बाबा का नाम महंत गिरधारी दास 1008 है जो मूल तौर पर राजस्थान के रहने वाले हैं. बाबा कहते हैं पान खाने से तेरह तरह के रोग दूर होते हैं. बाबा बताते की वो पान खिलाने के साथ साथ पान खाने के भी शौकीन हैं. उन्होंने कहा कि उनकी उम्र 74 साल है और उनको कोई रोग नही है.

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प्रसाद में भक्तों को देते हैं पान

पान वाले बाबा कुंभ में राघव मंदिर के शिविर में रहते हैं और उनके शिष्य भी उन्हीं के मार्ग पर चल रहे है. वह पान बांधकर खिला रहे हैं. बाबा ने बताया कि उनका शौक बचपन से ही सबको पान खिलाने का रहा है. उन्होंने कहा, 'आम पान वालों से उनका पान अलग है, मेरा पान कई बीमारियों को दूर करता है.'

बता दें कि इससे पहले महाकुंभ पहुंचे आईआईटी वाले बाबा यानी की अभय सिंह चर्चा में आए थे. वो आईआईटी बॉम्बे से पासआउट हैं और कनाडा में तीन लाख रुपये महीने की सैलरी पर नौकरी करने के बाद सबकुछ छोड़कर संन्यासी बन गए. 

सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं आईआईटी वाले बाबा

अभय सिंह यूं ही काशी के घाट पर आध्यात्मिक खोज में भटक रहे थे. तभी अचानक काशी में जूना अखाड़े के एक संत सोमेश्वर गिरी की मुलाकात इस आईआईटी इंजीनियर से हो जाती है. बातचीत होते-होते सोमेश्वर गिरी को यह लग जाता है कि अभय सिंह में कुछ ऐसी बात है जो उसे दूसरे साधकों से अलग करती है. इसके बाद उन्होंने ने उसे अपना शिष्य बना लिया.
 

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