Parivartini Ekadashi 2021 आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे परिवर्तिनी एकादशी या पद्मा एकादशी (padam ekadashi) भी कहते हैं. आज के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और कभी भी घर में धन की कमी नहीं होगी. 17 सितंबर उदयातिथि होने की वजह से आज व्रत रखा जाएगा.
ये है महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और आज एकादशी के दिन वे करवट बदलते हैं. करवट बदलने से भगवान विष्णु का स्थान परिवर्तन होता है, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है.
जानें शुभ मुहूर्त
परिवर्तिनी एकादशी पर व्रत और पूजा का विशेष महत्व है. आज व्रत और पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलेगी. इतना ही नहीं माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और धन धान्य की कमी नहीं रहती है. परिवर्तिनी एकादशी वैसे तो 16 सितंबर, गुरुवार को सुबह 9 बजकर 37 मिनट से शुरू हो गई, लेकिन ये तिथि 17 सितंबर की सुबह 8 बजकर 7 मिनट तक रही. ऐसे में उदयातिथि होने के कारण आज के दिन परिवर्तिनी एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायी है.
वाजपेय यज्ञ का मिलता फल
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि जो श्रद्धालु परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखते हैं और वामन अवतार की विधिपूर्वक पूजा करता हैं, उन्हें वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. अनजाने में किए गए पाप नष्ट होते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ये है कथा
भागवत पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने ब्राम्हण बालक के रूप अवतार लिया था. वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवे अवतार थे और त्रेता युग में पहले अवतार थे. भगवान वामन ने प्रहलाद के पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदम में तीनों लोक नाप दिए थे.
इस तरह करें पूजा
प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा करें. भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. गणेश जी को मोदक और दूर्वा अर्पित करें. पहले भगवान गणेश और फिर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें. किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अन्न-वस्त्र या जूते व छाते का दान करें. आज के दिन अन्न का सेवन बिलकुल न करें, जलाहार या फलाहार ही ग्रहण करें.