Paush Putrada Ekadashi 2025: हर एकादशी महत्वपूर्ण है और हर एकादशी की अपनी अलग महिमा है. हिंदू परंपरा में एकादशी को पुण्य कार्य और भक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. 10 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है. पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति, संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाने वाला व्रत है. इस उपवास को रखने से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है. आइए आपको इस व्रत के नियम और कुछ दिव्य उपाय बताते हैं.
पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. बेहतर होगा कि केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए. फिर संतान संबंधी मनोकामनाओं के लिए भगवान कृष्ण या श्री हरि की उपासना करनी चाहिए.
पुत्रदा एकादशी पर बरतें सावधानियां
घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी न बनाएं. एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़ों का ही प्रयोग करें. परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें. ईश्वर में श्रृद्धा रखें. सात्विक रहें और झूठ न बोंले.
दिव्य उपाय
1. संतान की कामना
पति-पत्नी संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें. श्रीकृष्ण को पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें. संतान गोपाल मंत्र का जाप करें. मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करें.
2. संतान की उन्नति
अगर आप संतान की उन्नति और उसके भाग्य में वृद्धि चाहते हैं तो पुत्रदा एकादशी के दिन घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें. सूर्य यंत्र की धूप-दीप, गंध आदि से पूजा कर अपने घर में स्थापित करें.
3. संतान गोपाल मंत्र
'ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते , देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता.' संतान गोपाल मंत्र का जाप करने से निसंतान दंपतियों को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. 'ॐ क्लीं कृष्णाय नमः' इस दिव्य मंत्र का भी जाप करें.
4. दान-पुण्य
पुत्रदा एकादशी के दिन दान पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और संतान सुख की प्राप्ति के योग बनते हैं. आप अपनी क्षमता के अनुसार किसी जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या धन दान कर सकते हैं.