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Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष में कौवे को देख पहचानें धन लाभ और भाग्योदय के संकेत

कौवों को श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से भोजन कराने की बात विष्णु पुराण में कही गई है. कौवे को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के दिनों में भोजन कराया जाता है.

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कौवे को देख पहचानें पूर्वजों का अशीर्वाद मिल रहा या नहीं
कौवे को देख पहचानें पूर्वजों का अशीर्वाद मिल रहा या नहीं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • घर पर मेहमानों के आगमन का संदेश भी देता है कौवा
  • धूल में लिपटा कौवा देखना अचानक पैसे मिलने का संकेत

Pitru Paksha 2021: पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण-श्राद्ध किया जाता है. धरती पर आने वाले पितृ तर्पण से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. यदि पूर्वज प्रसन्न हैं, तो इसके संकेत भी पितृ पक्ष में मिलते हैं. इसमें कौवे की अहम भूमिका होती है. वैसे भी आपने सुना ही होगा कि जब कौवा घर की छत पर आवाज करता है, तब कहते हैं कि घर में कोई मेहमान आएगा. कौवे के ऐसे कई उदाहरण और मान्यताएं हैं, ऐसी ही कुछ मान्यताएं पितृ पक्ष को लेकर भी हैं. 

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इस तरह होती है संकेतों की पहचान 
कौवों को श्राद्ध पक्ष में भक्ति और विनम्रता से भोजन कराने की बात विष्णु पुराण में कही गई है. कौवे को पितरों का प्रतीक मानकर श्राद्ध पक्ष के दिनों में भोजन कराया जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि कौवे और पीपल को पितृ का प्रतीक माना जाता है. ऐसी ही कुछ मान्यताएं हैं, जिनसे पहचान सकते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान कौवा घर की छत पर बैठकर शुभ या अशुभ संकेत दे रहा है. 

ये हैं शुभ संकेत 
श्राद्ध के दिनों में यदि घर की छत पर बैठे कौवे के चोंच में फूल-पत्ती हो तो मनोरथ की सिद्धि होती है. यदि कौवा गाय की पीठ पर बैठकर अपनी चोंच रगड़ता हुआ दिखे तो उसे उत्तम भोजन की प्राप्ति होती है. सूखा तिनका अपनी चोंच में लिए दिखे तो धन लाभ होता है. अनाज के ढेर पर बैठा मिले, तो धान्य लाभ होता है और गाय के सिर पर बैठा मिले तो प्रियजन से भेंट-वार्ता होती है. यदि कौवा ऊंट की पीठ पर बैठा मिले तो यात्रा कुशल होती है और यदि सूअर की पीठ पर बैठा दिखे, तो विपुल धन की प्राप्ति होती है.

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ये संकेत भी होते हैं शुभ 
यदि कौवा दाईं तरफ से उड़कर बाईं तरफ आ जाए और भोग ग्रहण करें तो यात्रा में सफलता मिलती है. अन्यथा विपरीत फल मिलता है. यदि कौवा सामने से आकर भोग ग्रहण करें और पैर से सिर खुजलाएं तो कार्य सिद्ध होता है. यदि भोग ग्रहण कर उड़ कर कुएं की पाल पर जा बैठे, नदी तट पर जाकर बैठे या जलपूर्ण घट पर बैठ जाए तो खोई वस्तु मिलती है. मुकदमे में जीत होती है एवं धन-धान्य में भी वृद्धि होती है.

 

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