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Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष का तृतीया श्राद्ध है आज, जानें तर्पण और पिंडदान की सही विधि

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में यदि श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण विधिवत किया जाए तो दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और वे सुखी संतुष्ट होकर लौट जाते हैं. आज पितृ पक्ष का तीसरा दिन है इसलिए इसे तृतीया श्राद्ध और तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.

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Pitru Paksha (Photo Credit: AI)
Pitru Paksha (Photo Credit: AI)

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दौरान पितर स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के पास जाते हैं. पितृ पक्ष में यदि श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण विधिवत किया जाए तो दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और वे सुखी संतुष्ट होकर लौट जाते हैं. आज पितृ पक्ष का तीसरा दिन है इसलिए इसे तृतीया श्राद्ध और तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.  तो आइए जानते हैं कि तृतीया श्राद्ध करने की विधि, मुहूर्त और महत्व क्या है.

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तृतीया श्राद्ध कर्म के मुहूर्त (Tritiya Tithi Shradh 2024 Muhurat)

कुतुप मूहूर्त - आज सुबह11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक

रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से दोपहर 1 बजकर 27 मिनट तक 

अपराह्न काल - दोपहर 1 बजकर 27 मिनट से दोपहर 3 बजकर 54 मिनट तक 

तृतीया श्राद्ध करने की विधि

श्राद्ध करने वाले जातक सबसे पहले नित्यकर्म करके स्नान करें, और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद तर्पण पिंडदान आदि कर्म करें. पितरों को गंगाजल, जौ, तुलसी व शहद मिश्रित जल देने के बाद उनके नाम से दीपक जलाएं. तृतीया श्राद्ध पर गाय, कौवा, चींटी आदि के लिए भोजन का एक अंश निकालने के बाद तीन ब्राह्मणों को भी भोजन कराएं. इन जीवों को भोजन देते समय अपने पितरों का स्मरण करें, और मन में ही उनसे भोजन ग्रहण करने के लिए प्रार्थना करें. श्राद्ध कर्म संपन्न करने के बाद ब्राह्मण को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दें. यदि इस दिन आप किसी गरीब की भी सहायता कर सकें, तो इससे आपके पितरों को विशेष प्रसन्नता होगी.

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तृतीया श्राद्ध का महत्व

जिन पूर्वजों की मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई है, तृतीया श्राद्ध उनके लिए विशेष महत्वपूर्ण है. तृतीया श्राद्ध अभिजित, कुतुप या रौहिण मुहूर्त में करना उपयुक्त माना जाता है. शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि श्राद्ध करने वाले परिवार में भी सुख-समृद्धि, उत्तम संतान की प्राप्ति, पारिवारिक सामंजस्य और नौकरी-व्यापार में तरक्की बनी रहती है.

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