Magh Month Pradosh Vrat 2022: भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि इस बार 30 जनवरी 2022 दिन रविवार को है. इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद रात्रि में मासिक शिवरात्रि की पूजा होगी. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि आधी रात को सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान शिव की पूजा होगी. सर्वार्थ सिद्धि योग में शिव जी के दो व्रतों का संयोग भक्तों को कई गुना अधिक पुण्य फल प्रदान करेगा. जानें पूजा मुहूर्त...
प्रदोष व्रत एवं मासिक शिवरात्रि की तिथि
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 जनवरी को रात 8 बजकर 37 मिनट पर शुरु हो रही है, इसका समापन 30 जनवरी को शाम 5 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है. उदयातिथि में प्रदोष व्रत 30 जनवरी दिन रविवार को रखा जाएगा. रविवार को त्रयोदशी तिथि की वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. वहीं रविवार को ही शाम 5 बजकर 27 मिनट पर चतुर्दशी तिथि शुरू हो रही है, जो अगले दिन 31जनवरी को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. शिवरात्रि की पूजा का मुहूर्त रात्रि प्रहर का होता है, ऐसे में माघ की मासिक शिवरात्रि भी 30 जनवरी को है.
पूजा मुहूर्त
प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त- 30 जनवरी, शाम 6 बजे से रात 8.05 बजे तक
मासिक शिवरात्रि 2022 पूजा मुहूर्त- 30 जनवरी, रात 11.20 बजे से देर रात 1.18 बजे तक
रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Ravi Pradosh Vrat puja vidhi)
शिव मन्दिरों में शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंत्र का जाप करें. रवि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. स्नान के बाद सबसे पहले भगवान सूर्य को जल अर्पित करें. फिर गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं.
मासिक शिवरात्रि पूजा और व्रत विधि (Masik Shivratri Vrat Puja Vidhi)
मासिक शिवरात्रि पर शुभ मुहूर्त में शिव जी का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बेलपत्र अच्छी तरह साफ़ किये होने चाहिए. भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें. शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें. अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें.