भारत के धर्म, संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक भगवान श्रीराम के जन्म से ज्योतिष का सबसे महत्वपूर्ण अभिजीत मुहूर्त संबद्ध है. प्रतिदिन ठीक दोपहर अर्थात् दिन के मध्य में अभिजीत मुहूर्त दो घड़ी यानि 48 मिनट के लिए बनता है. इसे अबूझ मुहूर्त की संज्ञा दी जाती है. इसमें कामकाज से जुड़े प्रत्येक कार्य को बिना विचार के सहजता से किया जा सकता है.
अभिजीत मुहूर्त 24 घंटों में दो बार बनता है. पहला, ठीक दोपहर को दिन के मध्य में बनता है. दूसरा, ठीक मध्यरात्रि में बनता है. जगत पालक श्रीहरि विष्णु के दो सर्वोत्तम अवतार भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हीं मुहूर्तों में क्रमश़ः जन्म लिया है.
इसे अभिजीत नक्षत्र के कारण अभिजीत मुहूर्त पुकारा जाता है. विज्ञान में अभिजीत नक्षत्र को ‘वेगा‘ नक्षत्र पुकारा जाता है. सूर्य संपूर्ण सौरमंडल के साथ 70 हजार किलोमीटर की गति से इसी नक्षत्र की ओर बढ़ रहा है. और इसी में समा जाने वाला है.
अभिजीत मुहूर्त को सफलता का कारक मुहूर्त कहा जाता है. लक्ष्यपूर्ण कार्यों की सफलता इस मुहूर्त में आरंभ होने से बढ़ जाती है. इसे प्रतिदिन निर्माण होने वाला अबूझ मुहूर्त पुकारा जाता है. अर्थात् इसमें बगैर किसी ज्योतिषीय विचार के कार्यारंभ किया जा सकता है.
अभिजीत मुहूर्त निकालने का सरल तरीका यह है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक की समयावधि के मध्य से एक घड़ी पहले यह शुरू होता है. एक घड़ी बाद तक रहता है. तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में भगवान श्रीराम के जन्म के समय पर लिखा है-
''नौमी तिथि मधुमास पुनीता. सुकल पक्ष अभिजित् हरिप्रीता..''
''मध्य दिवस अति सीत न घामा. पावन काल लोक विश्रामा..''