रमजान का पवित्र महीना शुरू होने जा रहा है. रमजान का पाक महीना पूरा होने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाएगा. इस महीने लोग ना सिर्फ रोजे रखते हैं बल्कि सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत भी करते हैं. उत्तर प्रदेश के डासना में जामिया सबीरुर रशाद मदरसे के संचालक मौलाना अशरफ कहते हैं कि रमजान का महीना बरकतों से भरपूर होता है. अल्लाह इस महीने अपनी खास रहमत नाजिल फरमाता है.
मौलाना अशरफ ने आगे कहा कि इस महीने अल्लाह गुनाहों को माफ करता है. दुआओं को कबूल करता है और फरिश्तों को हुकुम देता है कि रोजा रखने वालों की दुआ पर आमीन कहो. जो शख्स ईमान के साथ अल्लाह की रजा के लिए रोजा रखता है, अल्लाह उसके पिछले तमाम गुनाहों को माफ कर देता है. उन्होंने कहा कि इस महीने मुस्लिम लोगों को अपने से गरीबों और वंचितों का खास ध्यान रखना चाहिए.
हालांकि, जो लोग रोजा रखते हैं, उन्हें कई तरह की चीजों का ख्याल रखना जरूरी होता है. कई बार जरा सी गलती से ही रोजा टूट जाता है, इसलिए इन चीजों को ध्यान में रखकर ही सेहरी से लेकर इफ्तार तक समय बिताना जरूरी है.
किन छोटी गलतियों से टूट जाता है रोजा
मौलाना अशरफ बताते हैं कि रोजा मकरूह होने यानी टूट जाने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें आंखों का पर्दा भी एक अहम चीज है. यानी रोजा रखने के बाद अगर रोजेदार किसी को गलत निगाहों से देखते हैं तो इससे रोजा मकरूह हो सकता है. इसके अलावा झूठ बोलने या पीठ पीछे बुराई करने से भी रोजा टूट सकता है.
सेहरी के बाद या इफ्तार से पहले जानबूझकर कुछ भी खा लेने वाले या पानी पीने वाले लोगों का रोजा भी टूट जाता है. इसके साथ ही रोजेदार के दांत में अगर कुछ खाना फंसा हुआ है और वह उसे अंदर निगल लेता है तो इससे भी रोजा मकरूह हो सकता है. वहीं, किसी को गाली देना, अपशब्द कहना या बिना बीमारी गैरजरूरी इंजेक्शन लगवाने से भी रोजा टूट सकता है.