इस्लाम का सबसे पवित्र महीना रमजान आज यानी 12 मार्च से शुरू हो गया है. इस्लामी कैलेंडर के नौंवे महीने को रमजान का महीना कहा जाता है. इस महीने की शुरुआत चांद दिखने के बाद होती है. रमजान के दौरान मुस्लिम लोग रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. रमजान का महीना खत्म होने के बाद ईद का त्योहार पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है. रमजान में मुस्लिम लोग रोजा रखने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले ही सेहरी खा लेते हैं, जिसके बाद पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर खुदा का नाम जपते हैं. शाम को इफ्तार के समय रोजा खोल लिया जाता है.
रमजान में सेहरी और इफ्तार का समय रोजाना बदलता है और खास बात है कि जगह-जगह के हिसाब से भी यह समय एकदम अलग हो सकता है. अगर दिल्ली में इफ्तार का समय शाम 7 बजे है तो मुंबई में इफ्तार का समय 7 बजकर 10 मिनट भी हो सकता है.
इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों में से एक है रोजा रखना
इस्लामिक जानकारी के अनुसार, रोजा रखना इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों में से एक है. सभी मुसलमानों को यह पांचों सिद्धांतों का पालन करना काफी जरूरी है. इन पांच सिद्धांतों में नमाज, दान, आस्था, हज और रोजा शामिल है.
इन लोगों को रोजा रखने से है माफी
इस्लाम में सभी बालिग लोगों को रोजा रखना अनिवार्य कहा गया है. हालांकि, कुछ मामलों में रोजा रखने की छूट भी दी गई है. अगर कोई बीमार है और वह दवा खाता है तो उसे रोजा रखने की छूट होती है. वहीं अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है तो उसे भी रोजा रखने की छूट होती है. महिलाओं का अगर महावारी का समय चल रहा है तो उन्हें भी रोजा रखने की छूट दी गई है. हालांकि, पीरियड्स खत्म होने के बाद उन्हें बाकी सभी रोजे रखने होते हैं.