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Sankashti Chaturthi 2022: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी आज, यहां देखें व्रत कथा और शुभ मुहूर्त

इस बार संकष्टी चतुर्थी सोमवार, 21 मार्च को पड़ रही है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है. इस दिन गणपति पूजा करने से जीवन में चल रही तमाम बाधाएं नष्ट हो जाती हैं. इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है.

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Sankashti Chaturthi 2022: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी आज, पढ़ें कथा और शुभ मुहूर्त
Sankashti Chaturthi 2022: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी आज, पढ़ें कथा और शुभ मुहूर्त
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संकष्टी चतुर्थी पर कथा सुनने से प्रसन्न होते हैं गणपति
  • संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. चैत्र माह में पड़ने की वजह से इसे भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी सोमवार, 21 मार्च को पड़ रही है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है. गणपति पूजा से जीवन में चल रही तमाम बाधाएं नष्ट हो जाती हैं. इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन इसकी कथा सुनने से भी भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं.

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संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Vrat Katha)

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नदी किनारे बैठे थे. तभी अचानक माता पार्वती को चौपड़ खेलने की इच्छा हुई, लेकिन वहां उन दोनों के अलावा तीसरा कोई नहीं था जो इस खेल में निर्णायक भूमिका निभा सकता. शिवजी और पार्वती ने मिलकर एक मिट्टी की मूर्ति बनाई और उसमें जान डाली और उसे खेल में सही फैसला लेने का आदेश दिया. खेल में माता पार्वती बार-बार भगवान शिव को मात दे रही थीं.

चलते खेल में एक बार गलती से बालक ने माता पार्वती को हारा हुआ घोषित कर दिया. माता लपार्वती ने गुस्से में आकर बालक को श्राप दे दिया और वह लंगड़ा हो गया. बालक ने अपनी भूल के लिए माता से बार-बार क्षमा मांग रहा था. बालक के निवेदन को देखते हुए माता ने कहा कि अब श्राप वापस नहीं हो सकती, लेकिन एक उपाय से श्राप से मुक्ति पाई जा सकती है. माता ने कहा कि संकष्टी वाले दिन पूजा करने इस जगह पर कुछ कन्याएं आती हैं, तुम उनसे व्रत की विधि पूछना और सच्चे मन से व्रत का करना.

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बालक ने व्रत की विधि जानकर श्रद्धापूर्वक संकष्टी का व्रत किया. उसकी सच्ची आराधना से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने को कहा. बालक ने माता पार्वती और भगवान शिव के पास जाने की इच्छा बताई. भगवान गणेश ने उस बालक को शिवलोक पंहुचा दिया, लेकिन जब वह पहुंचा तो वहां उसे केवल भगवान शिव ही मिले. माता पार्वती भगवान शिव से नाराज होकर कैलाश छोड़कर चली गई थीं. जब शिवजी ने बच्चे से पूछा की तुम यहां कैसे आए तो उसने बताया कि गणेश की पूजा से उसे यह वरदान प्राप्त हुआ है. यह जानने के बाद भगवान शिव ने भी पार्वती को मनाने के लिए संकष्टी का व्रत को किया और इसके बाद माता पार्वती भगवान शिव से प्रसन्न होकर कैलाश वापस लौट आती हैं.

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सोमवार, 21 मार्च 2022 को सुबह 8 बजकर 20 मिनट से लेकर मंगलवार, 22 मार्च सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक तक रहेगा.

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