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Saphala Ekadashi 2021: कब है साल की आखिरी एकादशी? संतान-सेहत-कारोबार से जुड़े वरदान पाने का आखिरी मौका

सफला एकादशी का व्रत पौष कृष्ण एकादशी को रखा जाता है. इस उपवास को रखने से आयु, स्वास्थ्य की रक्षा होती है और कार्यों में सफलता मिलती है. श्री हरि की कृपा से व्यक्ति को भौतिक सम्पन्नता भी मिलती है. इस वर्ष सफला एकादशी 30 दिसम्बर को है, जो कि साल की आखिरी एकादशी भी है.

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Saphala Ekadashi 2021: कब है साल की आखिरी एकादशी? संतान-सेहत-कारोबार से जुड़े वरदान पाने का आखिरी मौका
Saphala Ekadashi 2021: कब है साल की आखिरी एकादशी? संतान-सेहत-कारोबार से जुड़े वरदान पाने का आखिरी मौका
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सफला एकादशी का व्रत पौष कृष्ण एकादशी को रखा जाता है
  • श्री हरि की कृपा से व्यक्ति को भौतिक सम्पन्नता की प्राप्ति

कठोर परिश्रम के बावजूद अगर आपको सफलता नहीं मिल पा रही या कारोबार ठप होता जा रहा है या सेहत संबंधी कोई समस्या है तो सफला एकादशी का व्रत आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है. सफला एकादशी का व्रत पौष कृष्ण एकादशी को रखा जाता है. इस उपवास को रखने से आयु, स्वास्थ्य की रक्षा होती है और कार्यों में सफलता मिलती है. श्री हरि की कृपा से व्यक्ति को भौतिक सम्पन्नता भी मिलती है. इस वर्ष सफला एकादशी 30 दिसम्बर को है, जो कि साल की आखिरी एकादशी भी है. 

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सफला एकदशी पर प्रातः काल या सायं काल में श्री हरि का पूजन करें. मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर श्री हरि की पूजा करें. श्री हरि को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें. चाहें तो एक वेला उपवास रखकर एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें. शाम को आहार ग्रहण करने के पहले जल में दीपदान करें. गर्म वस्त्र और अन्न का दान करना भी विशेष शुभ होता है.

उत्तम स्वास्थ्य के लिए उपाय
श्री हरि को मौसम के फल (ऋतु फल) अर्पित करें. इसके बाद 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें. फल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. अगर कोई रोगी व्यक्ति इस फल को ग्रहण करता है तो वह स्वस्थ हो सकता है.

आर्थिक पक्ष और कारोबार में सफलता
श्री हरि की पूजा लक्ष्मी जी के साथ संयुक्त रूप से करें. मां लक्ष्मी को सौंफ और श्री हरि को मिसरी अर्पित करें. इसके बाद "ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें. सौंफ और मिसरी को एकसाथ रखें. इसे रोज प्रातः ग्रहण करें.

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संतान प्राप्ति की सफलता के लिए
सफला एकादशी के दिन श्री हरि को पंचामृत चांदी के पात्र में अर्पित करें. इसके बाद 108 बार "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का जाप करें. पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.

 

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