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Sarv Pitru Amavasya 2021: 11 साल बाद गजछाया योग, पितरों का तर्पण करने से मिलेगा लाभ

Sarv Pitru Amavasya 2021: आखिरी दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु के दिन-तारीख लोगों याद नहीं होते हैं. इस साल आखिरी श्राद्ध पर एक विशेष संयोग भी बन रहा है. ज्योतिषियों के मुताबिक, इस दिन 11 साल बाद गजछाया योग बनेगा.

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Sarv Pitru Amavasya 2021 (Photo Credit: Getty Images)
Sarv Pitru Amavasya 2021 (Photo Credit: Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आखिरी श्राद्ध पर बन रहा विशेष संयोग
  • इस योग में तर्पण करने से पितरों की 12 साल की भूख शांत

Sarv Pitru Amavasya 2021: पितृ पक्ष का समापन बुधवार, 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. आखिरी दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु के दिन-तारीख लोगों को याद नहीं होते हैं. इस साल आखिरी श्राद्ध पर एक विशेष संयोग भी बन रहा है. ज्योतिषियों के मुताबिक, इस दिन 11 साल बाद गजछाया योग बनेगा. इस मंगलकारी संयोग में पितरों का तर्पण करने से बड़ा लाभ मिलता है.

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शास्त्रों के मुताबिक, गजछाया योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनकी अनुकंपा होती है. ऐसा कहते हैं कि इस योग में तर्पण करने से पितरों की 12 साल की भूख शांत होती है. इससे पहले साल 2010 में यह संयोग बना था.

सर्वपितृ अमावस्या पर कैसे करें तर्पण?
सर्वपितृ अमावस्या पर तांबे के पात्र में गंगाजल लें. अगर गंगाजल उपलब्ध ना हों तो शुद्ध जल भी ले सकते हैं. उसमें गाय का कच्चा दूध और थोड़े से काले तिल डालें. अब उस पात्र में कुशा डालकर उसे मिलाएं. स्टील का एक अन्य पात्र लें और उसे अपने सामने रखें. दक्षिणाभिमुख होकर खड़े हो जाएं. कुशा के साथ तांबे के पात्र के जल को स्टील के पात्र में धीरे-धीरे गिराएं. ध्यान रहे कि कुशा न गिरे.
जल गिराते समय इस मंत्र का उच्चारण करते रहें- 'ॐ पितृ गणाय विद्महे जगधारिण्ये धीमहि तन्नो पितरो प्रचोदयात्'

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सर्वपितृ अमावस्या का मुहूर्त- सर्वपितृ अमावस्या मंगलवार शाम 07 बजकर 04 मिनिट से लेकर बुधवार शाम 4 बजकर 34 बजे तक रहेगी. सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण के बाद श्रद्धा से जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए. शास्त्रों में इसका बहुत महत्व बताया गया है. परंपरा के अनुसार, श्राद्ध के बाद गाय, कौवा, अग्नि, चींटी और कुत्ते को भोजन खिलाया जाता है. इससे पितरों को शांति मिलती है और वे तृप्त होते हैं.

 

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