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Sawan 2022: सावन के पहले सोमवार शिवलिंग पर चढ़ाएं ये एक चीज, बदल जाएगी तकदीर

सावन में शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, दूध, चावल, चंदन और भस्म जैसी चीजें अर्पित की जाती हैं. लेकिन एक चीज ऐसी भी है जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. ज्योतिषियों का कहना है कि यह एक चीज शिवलिंग पर चढ़ाने से इंसान की सोई तकदीर जाग सकती है.

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Sawan 2022: सावन के पहले सोमवार शिवलिंग पर चढ़ाएं ये एक चीज, बदल जाएगी तकदीर
Sawan 2022: सावन के पहले सोमवार शिवलिंग पर चढ़ाएं ये एक चीज, बदल जाएगी तकदीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सावन के पहले सोमवार शिवलिंग पर चढ़ाएं ये एक चीज
  • चमक उठेगी किस्मत

सावन के सोमवार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर तरह-तरह की चीजें चढ़ाई जाती हैं. इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, दूध, चावल, चंदन और भस्म जैसी चीजें अर्पित की जाती हैं. लेकिन एक चीज ऐसी भी है जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. ज्योतिषियों का कहना है कि यह एक चीज शिवलिंग पर चढ़ाने से इंसान की सोई तकदीर जाग सकती है. 18 जुलाई को सावन का पहला सोमवार है.

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रूद्र और शिव पर्यायवाची शब्द हैं. रूद्र शिव का प्रचंड रूप है. भगवान शिव को रूद्राक्ष अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है. शास्त्रों में रूद्राक्ष को भगवान शंकर का महाप्रसाद बताया गया है. ऐसा कहते हैं कि भगवान शिव के आंसुओं से पैदा हुए रुद्राक्ष में दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की ताकत होती है. यह ना सिर्फ भगवान शिव को अर्पित किया जा सकता है. बल्कि इसे धारण भी किया जा सकता है. इसे धारण करने से जीवन की तमाम समस्याएं, रोग, शोक और भय से मुक्ति मिल सकती है.

भगवान शिव को कब चढ़ाएं रूद्राक्ष?
सावन के पहले सोमवार तय मुहूर्त में आप शिवलिंग को रूद्राक्ष अर्पित कर सकते हैं. सुबह 04 बजकर 13 मिनट से लेकर 04 बजकर 54 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा. इसके बाद दोपहर 12 बजे से 12.55 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. फिर दोपहर 02.45 से 03:40 तक विजय मुहूर्त रहने वाला है. इस बीच आप किसी भी समय शिवलिंग पर रूद्राक्ष चढ़ा सकते हैं.

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शिवलिंग को रूद्राक्ष अर्पित करते समय यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रो का पाठ किया जाता है. इससे शीघ्र से शीघ्र मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. साथ ही, इससे कुंडली में ग्रह दोष का प्रभाव भी कम होता है. रुद्राक्ष चढ़ाने के लिए शिवजी की उपस्थिति अत्यंत आवश्यक है. इसलिए भगवान शिव के स्थान पर जाकर ही इसे शिवलिंग पर चढ़ाएं.

 

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