Sawan 2022 Starting Date: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन 14 जुलाई से शुरू होने वाला है. सावन का महीना इस साल 14 जुलाई से 12 अगस्त तक रहेगा. इस बार सावन के चार सोमवार व्रत पड़ रहे हैं. सावन के सोमवार का पहला व्रत 18 जुलाई को है. दूसरा सोमवार व्रत 25 जुलाई, तीसरा 8 अगस्त और चौथा 16 अगस्त को है. सावन के हर सोमवार में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा की जाती है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त इस महीने कांवड़ लेने भी जाते हैं. इस वर्ष 14 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होगी. इस दौरान श्रद्धालु गंगा नदी से जल भरकर शिव मंदिर पहुंचते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. इस दौरान भगवान शिव की प्रिय चीजें भी शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हैं.
आइए आपको आपको कांवड़ यात्रा जुड़ी कुछ खास बातें और जरूरी नियम बताते हैं.
कांवड़ के प्रकार
झूला कांवड़
भगवान शिव के ज्यादातर भक्त झूला कांवड़ लेकर आते हैं. बच्चे, बूढ़े और महिलाएं भी यह कांवड़ आसानी से लेकर आ जाते हैं. झूला कांवड़ की खासियत ये है कि इसे आप स्टैंड या पेड़ पर रखने के बाद आराम कर सकते हैं. हालांकि आराम या भोजन करने के बाद कांवड़ उठाने के लिए आपको पुन: शुद्ध होना पड़ेगा.
खड़ी कांवड़
भगवान शिव के बहुत से भक्तखड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं. यह झूला कांवड़ से मुश्किल होती है. आमतौर पर खड़ी कांवड़ किसी सहयोगी की मदद से लाई जाती है. कांवड़ लाने वाला इंसान जब आराम करता है तो उसका सहयोगी कंधे पर कांवड़ लिए खड़ा रहता है.
डाक कांवड़
डाक कांवड़ सबसे मुश्किल कांवड़ मानी जाती हैं. इसमें भक्तों को एक निश्चित समय के भीतर हरिद्वार से जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. डांक कावड़ 14, 16 18 या 20 या इससे ज्यादा घंटे की हो सकती है. इसमें भक्तों को तय समय के भीतर ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना पड़ता है. इसमें कांवड़ यात्रा में भगवान शिव के हरिद्वार से दौड़ते हुए भगवान शिव के मंदिरों में पहुंचते हैं. डाक कांवड़ लेकर चलने वाले शख्स यदि रुक जाए या उसके हाथ से कांवड़ छूट जाए तो वो खंडित मानी जाती है.