शनि हर राशि पर भ्रमण के दौरान एक विशेष तरह का प्रभाव डालता है. जब यह प्रभाव किसी राशि के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़ेसाती कहते हैं. शनि जब भी किसी राशि से बारहवें रहता है तो उसी राशि में रहता है या फिर उस राशि से दूसरे घर में रहता है तो उस राशि पर साढ़ेसाती चलने लगती है. शनि एक राशि पर ढाई वर्ष रहता है और एक साथ तीन बार किसी राशि को प्रभावित करता है. ढाई ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है. आइए आज शनि त्रयोदशी के मौके पर जानते हैं कि किसी राशि से शनि की साढ़े साती का प्रभाव कैसे कम किया जा सकता है.
क्या है शनि की ढैया- राशियों पर भ्रमण के दौरान जब शनि किसी राशि से चतुर्थ भाव या अष्टम भाव में आता है तो इसको शनि की ढैया कहा जाता है. यह शनि के एक राशि पर भ्रमण के दौरान ही रहता है यानि कि ढाई साल तक रहता है. इसलिए इसे ढैया भी कहा जाता है. राशि से सप्तम भाव में शनि के आने पर भी ढैया जैसी स्थिति बन जाती है.
साढ़ेसाती का प्रभाव- लोगों का मानना है कि यह हमेशा बुरा फल देती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है. सबसे पहले देखना होगा कि आपकी व्यक्तिगत दशा क्या है. इसके बाद कुंडली में शनि की स्थिति देखनी होगी. तब जाकर यह समझा जा सकता है कि साढ़ेसाती या ढैया का फल बुरा होगा या अच्छा. आम तौर पर अगर शनि अच्छा है तो साढ़ेसाती अच्छे परिणाम देती है. अगर शनि प्रतिकूल है तो साढ़ेसाती या ढैया में समस्या होती है. वैसे साढ़ेसाती या ढैया शुरू हो तो लाभकारी होती है और खत्म हो तो समस्या होती है.
शनि की साढ़ेसाती और ढैया के विशेष प्रभाव- शनि की साढ़ेसाती और ढैया चलने के दौरान अलग फल देती है और उतरने के दौरान अलग. इस समय धनु, मकर और कुम्भ राशि पर साढ़ेसाती चल रही है. इसमें भी धनु राशि पर से साढ़ेसाती उतर रही है. इस समय मिथुन और तुला राशि पर ढैया है. साढ़ेसाती और के दौरान रिश्तों की समस्या जरूर होती है. उसमें भी वैवाहिक जीवन में सबसे ज्यादा समस्या होती है. इस समय में माता या पिता के निधन के योग भी होते हैं. खास तौर से साढ़ेसाती के उतरने के समय.
साढ़ेसाती का परिणाम अशुभ हो तो क्या करें- शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. नित्य सायं शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें. अगर कष्ट ज्यादा हो तो शनिवार को छाया दान भी करें. भोजन में सरसों के तेल , काले चने और गुड़ का प्रयोग करें. अपना आचरण और व्यवहार अच्छा बनाए रखें.