Shanishchari Amavasya 2025: अगर अमावस्या शनिवार को पड़ जाती है तो यह और भी फलदायी हो जाती है. इसे शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या भी कहते हैं. शनि अमावस्या पर विशेष प्रयोगों से शनि की कृपा आसानी से मिल सकती है. खासतौर से रोजगार और नौकरी की समस्याएं आसानी से दूर हो सकती हैं.
कैसे करें शनि देव की पूजा
शनि देव की पूजा प्रदोष काल या रात्रि में करें. चाहें तो इस दिन व्रत भी रख सकते हैं. पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद शनि चालीसा या शनि मंत्र का जाप करें. किसी निर्धन को खाने पीने की चीजों का दान करें. शनिदेव से कृपा पाने की प्रार्थना करें.
नौकरी या रोजगार पाने के लिए उपाय
सायंकाल पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें. एक काला धागा पीपल वृक्ष की डाल में बाँध दें. इसमें तीन गाँठ लगाएं.
जीवन की बाधाओं को दूर करने के उपाय
एक कटोरी में सरसों का तेल लें. उसमें बाएं हाथ की मध्यमा उंगुली डालकर शनि मंत्र का जाप करें. मंत्र होगा - "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः". सरसों के तेल को पीपल के वृक्ष के नीच रख दें.
ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव बेअसर
शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के असर को कम करने के लिए शनि अमावस्या का बहुत महत्व बताया गया है. शनि अमावस्या के दिन शनिदेव और महादेव की पूजा अर्चना और दान करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य फल मिलता है. साथ ही इस तिथि पर तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष से मुक्ति भी मिलती है.
साढ़ेसाती और ढैया से बचने का उपाय
एक लोहे का छल्ला ले आएं. उसे शनिवार की सुबह सरसों के तेल में डुबाकर रख देंय शाम को शनिदेव के मंत्रों का जाप करें. उनकी विधिवत आरती करें. इसके बाद लोहे के छल्ले को बाएं हाथ की मध्यमा उंगुली में धारण कर लें.
शनिदेव की पूजा में क्या सावधानी रखें?
शनिदेव की मूर्ति के दर्शन न करें. सरसों के तेल की बर्बादी न करें. निर्धनों की सेवा और दान जरूर करें. जहां तक हो सके आचरण उत्तम रखें. असहाय या दुखी लोगों को परेशान न करें. वरिष्ठजन या महिलाओं को प्रताड़ित न करें.