हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व होता है. प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है.अश्विन माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आज यानी 23 सितंबर को पड़ रहा है. प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं. वहीं, शुक्रवार को आने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष कहा जाता है. आइए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त,पूजा विधि.
शुक्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
अश्विन, कृष्ण त्रयोदशी
प्रारम्भ - सुबह 01 बजकर 17 मिनट से, सितम्बर 23
समाप्त - सुबह 02 बजकर 30 मिनट पर, सितम्बर 24
प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Significance)
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा, उपासना करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट और पाप जैसी दिक्कतों से राहत पाई जा सकती है. शादीशुदा लोग संतान प्राप्ति के लिए भी यह उपवास करते हैं. भगवान शिव की कृपा से धन, धान्य, सुख और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है.
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद मंदिर की सफाई करें और दीपक जलाएं. फिर भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें फिर भगवान शिव का दूध से अभिषेक करें और अंत में फिर जल से अभिषेक करें. इसके बाद भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें. इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें. फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. पूरा दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा से स्नान कर लें. शाम के समय उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुश के आसन पर बैठ जाएं और भगवान शिव को जल से स्न्नान कराकर रोली, मौली, चावल ,धूप, दीप से पूजा करें. भगवान शिव को चावल की खीर और फल अर्पित करें. अंत में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें और भोलेनाथ से प्रार्थना करें.
शुक्र प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 52 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- शाम 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
अमृत काल- सुबह 01 बजकर 16 मिनट से , सितम्बर 24 से सुबह 02 बजकर 59 मिनट तक, सितम्बर 24
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 22मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक