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Som Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत पर बन रहे तीन शुभ योग, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त व पूजा विधि

Som Pradosh Vrat 2022: प्रदोष व्रत इस माह सोमवार के दिन है. जो प्रदोष सोमवार को होता है उसे सोम प्रदोष कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है. इस बार प्रदोष व्रत के दिन तीन शुभ योग का अद्भुत योग बन रहा है.

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Som Pradosh Vrat
Som Pradosh Vrat
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिवजी की कृपा से हर कष्ट से मिलती है मुक्ति
  • 14 फरवरी को है शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत

Som Pradosh Vrat 2022 Date:प्रदोष व्रत को शास्त्रों में सर्वसुख प्रदान करने वाला बताया गया है. हर माह में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 14 फरवरी दिन सोमवार को है. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से इसका महत्व और बढ़ जाता है. इस व्रत के प्रभाव से चन्द्रमा अपना शुभ फल देता है. सोम प्रदोष व्रत के दिन शिव की आराधना से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस माह प्रदोष व्रत के दिन तीन शुभ योग का अद्भुत योग बन रहा है. 

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प्रदोष व्रत पर बन रहा अद्भुत योग 
प्रदोष व्रत 14 फरवरी दिन सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और आयुष्मान योग का अद्भुत संयोग बना रहा है. इस दिन त्रयोदशी तिथि को सर्वार्थ सिद्धि योग दिन में 11 बजकर 53 मिनट से शुरू हो रहा है, यह अगले दिन 15 फरवरी को सुबह 07 बजे तक रहेगा. वहीं रवि योग भी दिन में 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा, जो सर्वार्थ सिद्धि योग के समय तक बना रहेगा. इस दिन आयुष्मान योग रात 09 बजकर 29 मिनट तक है. फिर सौभाग्य योग शुरु हो जाएगा.

सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
 किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है.  सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. हल्के लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करना शुभ रहता है. चांदी या तांबे के लोटे से शुद्ध शहद एक धारा के साथ शिवलिंग पर अर्पण करें. उसके बाद शुद्ध जल की धारा से अभिषेक करें तथा ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः मन्त्र का 108 बार जाप करें. आज के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए.

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प्रदोष व्रत का महत्व
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों को दान जितना होता है. इस व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था. उन्होंने कहा था कि कलयुग में जब अधर्म का बोलबाला रहेगा, लोग धर्म के रास्ते को छोड़ अन्याय की राह पर जा रहे होंगे उस समय प्रदोष व्रत एक माध्यम बनेगा जिसके द्वारा वो शिव की अराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेगा. 

 

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