सूर्य देव को सनातन संस्कृति के आदि पंच देवों में स्थान प्राप्त है. वहीं ज्योतिष में इन्हें ग्रहों का राजा माना जाता है. सूर्य को कुंडली में आत्मा तक का कारक माना गया है. इतना ही नहीं किसी भी तरह के मान-सम्मान या अपमान के कारक भी यही सूर्य देव ही होते हैं. रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है. इस दिन भगवान भास्कर की पूजा होती है. मान्यता है कि इस दिन सूर्य मंत्रों का जाप करने से कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं. वहीं सूर्य देव को अर्घ्य देने से हर प्रकार का कष्ट दूर होता है. ऐसे में अर्घ्य देने के कुछ खास नियम हैं, जिन्हें जान लेना बेहद जरूरी है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि जो लोग सूर्य देव को प्रतिदिन सुबह उठकर अर्घ्य देते हैं, उनके मान सम्मान में हमेशा तेजी रहती है. जीवन में आने वाली बाधाएं आसानी से दूर हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि सूर्य देव को अर्घ्य देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. यदि भूलकर भी गलती हुई, तो सूर्य देव नाराज हो जाते हैं. आइए जानते हैं जल चढ़ाने से जुड़ी बातों के बारे में.
इन बातों का रखें ध्यान
1. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करें, कभी भी स्टील, प्लास्टिक और कांच की बोतल से अर्घ्य न दें.
2. सूर्य देव को अर्घ्य देने के दौरान जल के पात्र को दोनों हाथों से पकड़कर सिर के ऊपर से जल देना चाहिए.
3. अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग के पुष्प रखना शुभ माना जाता है.
4. सूर्य को अर्घ्य देते समय ध्यान रखें, कि जल के छीटे आपके पैरों पर नहीं पड़ें. इससे आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है.
5. सूर्यदेव को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. ध्यान रहे कि जल अर्पित करते समय सूर्य की किरणें उस धार में दिखनी चाहिए. इससे नवग्रह मजबूत होते है.
6. सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए.
7. शास्त्रों के अनुसार, रोजाना भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से परिवार के सदस्य निरोग रहते हैं. इसके अलावा कुंडली में सूर्य दोष से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती है.