आज वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी है. इसे विकट संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखा जाता है और पूरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है. मान्यता है कि आज के दिन पूजा-अर्चना करने से गणपति की कृपा होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन व्रत करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. आइए विकट संकष्टी चतुर्थी तिथि के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में जानते हैं.
वैशाख संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
वैशाख संकष्टी चतुर्थी मंगलवार, 19 अप्रैल को शाम 04 बजकर 38 मिनट से लेकर बुधवार, 20 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 52 मिनट तक रहने वाली है. इस दिन 11 बजकर 55 से 12 बजकर 46 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा, जो पूजा के लिए सबसे अच्छा समय है.
पूजन विधि
संकष्टी चतुर्थी को सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. गणेश भगवान की पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें. उन्हें तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा, चंदन और मोदक अर्पित करें. आज ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप, गणेश स्तुति, गणेश चालीसा और संकट चौथ व्रत कथा पढ़नी चाहिए. पूजा खत्म होने के बाद गणेश जी की आरती जरूर पढ़ें. रात में चांद निकलने से पहले गणेश भगवान की फिर से पूजा करें. चंद्रोदय के बाद दुग्ध से चंद्रदेव को अर्घ्य देकर पूजन करें और फलाहार ग्रहण करें.
संकष्टी चतुर्थी के उपाय
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का व्रत करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन कथा सुनने से गणपति की कृपा प्राप्त होती है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के कम से कम 12 नामों का भी स्मरण करना चाहिए ताकि भविष्य में आने वाली सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिले और जीवन सुखमय रहे.