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Vamana Jayanti 2021: दानवीर राजा का घमंड तोड़ने के लिए जब ​भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार

भगवान विष्णु के पांचवें अवतार हैं वामन. भगवान ब्राम्हण बालक के रूप में धरती पर आए थे और प्रहलाद के पौत्र राजा बलि से दान में तीन पद धरती मांगी थी. तीन कदम में वामन देव ने अपने पैर से तीनों लोक नाप कर राजा बलि का घमंड तोड़ा था.

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राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए भगवान विष्णु को लेना पड़ा वामन अवतार
राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए भगवान विष्णु को लेना पड़ा वामन अवतार
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भगवान विष्णु का पांचवा अवतार वामन देव
  • राजा बलि का घमंड तोड़ने को लिया अवतार

Vamana Jayanti 2021 भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है. इस साल यह जयंती 17 सितंबर 2021 दिन शुक्रवार को है. भागवत पुराण के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने ब्राम्हण बालक के रूप अवतार लिया था. वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवे अवतार थे और त्रेता युग में पहले अवतार थे. भगवान वामन ने प्रहलाद के पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदम में तीनों लोक नाप दिए थे.

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भगवान विष्णु का पांचवां अवतार
वामन देव ने भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी को अभिजित मुहूर्त में श्रवण नक्षत्र में माता अदिति व कश्यप ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था. भागवत पुराण के अनुसार अत्यन्त बलशाली दैत्य राजा बलि ने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था. भगवान विष्णु के परम भक्त  प्रहलाद के पौत्र और दानवीर राजा होने के बावजूद, राजा बलि एक भिमानी राक्षस था. बलि अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर देवताओं और ब्राह्मणों को डराया व धमकाया करता था. अत्यन्त पराक्रमी और अजेय बलि अपने बल से स्वर्ग लोक, भू लोक तथा पाताल लोक का स्वामी बन बैठा.

स्वर्ग से छीना इंद्र देव का अधिकार 
जब स्वर्ग से इंद्र देव का अधिकार छिन गया, तो इंद्र देव अन्य देवताओं को साथ लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे. इंद्र देव ने भगवान विष्णु को अपनी पीड़ा बताते हुए सहायता के लिए विनती की. देवताओं की ऐसी हालत देख भगवान विष्णु ने आश्वासन दिया, कि वे तीनों लोगों को राजा बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए माता अदिति के गर्भ से वामन अवतार के रूप में जन्म लेंगे, जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन के रूप में धरती पर पांचवां अवतार लिया. 

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वचनबद्धता से प्रसन्न हुए वामन देव 
इसके बाद भगवान वामन एक बौने ब्राह्मण के वेष में राजा बलि के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया. उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था. हालांकि गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को किसी भी प्रकार के वचन देने को लेकर चेताया, लेकिन राजा बलि ने माने और ब्राह्मण पुत्र को वचन दिया, कि उनकी ये मनोकामना जरूर पूरी करेंगे. इसके बाद वामनदेव ने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया, दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया. तीसरे कदम के लिए कोई भूमि नहीं बची, लेकिन राजा बलि अपने वचन के पक्के थे, इसलिए तीसरे कदम के लिए राजा बलि ने  अपना सिर झुका ​कर कहा, कि तीसरा कदम प्रभु यहां रखें. वामन देव राजा बलि  की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुए. इसलिए वामन देव ने राजा बलि को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बलि के सिर पर रखा जिसके फलस्वरूप बलि पाताल लोक में पहुंच गए.

कैसे करें पूजा?
इस दिन भगवान वामन की मूर्ति या चित्र की पूजा करें. मूर्ति है तो दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर अभिषेक करें. चित्र है तो सामान्य पूजा करें. इस दिन भगवान वामन का पूजन करने के बाद कथा सुनें और बाद में आरती करें. अंत में चावल, दही और मिश्री का दान कर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं.

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वामन द्वादशी का महत्व 
हिन्दू मान्यताओं में एकादशी का बेहद महत्व है, क्योंकि हर एक एकादशी एक खास व्रत से जुड़ी है. इस दिन लोग पूर्ण विधि के अनुसार व्रत रखते हैं और व्रत से जुड़े देवी-देवता की पूजा करते हैं. हर एक एकादशी में विशेष देव की पूजा करने का एक खास फल भी प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि यदि जिस रूप में व्रत रखने एवं पूजा की विधि बताई गई है, ठीक उसी प्रकार से करो तो भगवान जरूर प्रसन्न होते हैं. 

 

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