पश्चिम एवं उत्तर के मध्य में स्थित उत्तर-पश्चिम दिशा (North West Direction) वायव्य कोण कहलाती है. उत्तर-पश्चिम (North west) दिशा में वास्तु दोष होने से सकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में उत्तर-पश्चिम दिशा वायु देवता की मानी जाती है. आइए जानते हैं उत्तर-पश्चिम दिशा का वास्तु कनेक्शन.
उत्तर-पश्चिम भाग संध्या के सूर्य की तपती रोशनी से प्रभावित रहता है. वास्तु में इस स्थान को शौचालय, स्टोर रूम, स्नान घर यानी बाथरूम बनाने के लिए उपयुक्त बताया गया है. क्योंकि इससे घर के अन्य हिस्से संध्या के सूर्य की उष्मा से बचे रहते हैं, जबकि ये उष्मा शौचालय एवं स्नानघर को स्वच्छ एवं सूखा रखने में सहायक होती है.
वास्तु के मुताबिक अगर घर या व्यवसायिक संस्थान का वायव्य कोण यानी उत्तर-पश्चिम का भाग कुछ कटा हुआ हो या अन्य दिशाओं के मुकाबले कम चौड़ा हो तो उस भाग की उत्तरी दीवार में लगभग चार फुट चौड़ा दर्पण लगवाने से लाभ प्राप्त होता है.
घर की दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में बेडरूम होना पति-पत्नी के लिए फायदेमंद रहता है. दरअसल, उत्तर-पूर्व दिशा में देवी-देवताओं का स्थान होता है. इसलिए वास्तु में बेडरूम उत्तर दिशा में बनाने का सुझाव दिया जाता है.
उत्तर पश्चिम-दिशा या वायव्य कोण हवा से संबंधित होती है. इसी कारण इस दिशा के लिए हल्का स्लेटी, सफेद और क्रीम रंग उपयुक्त माना जाता है.
उत्तर-पश्चिम दिशा में वास्तु दोष दूर करने के लिए एक छोटा फव्वारा या एक्वेरियम (Aquarium) रखना चाहिए.
उत्तर-पश्चिम दिशा में कुवांरी कन्याओं का सोना शुभ माना जाता है, इससे विवाह के योग मजबूत होते हैं.
यदि आपके घर में नौकर है तो उसका कमरा उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाना ठीक रहता है.