Vat Savitri vrat 2022 Date: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का महत्व करवा चौथ जितना ही बताया गया है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए उपवास और पूजा करती हैं. उत्तर भारत में हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह व्रत रखने की परंपरा होती है. जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में 15 दिन बाद यानी ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस साल वट सावित्री के व्रत पर एक खास संयोग भी बन रहा है. वट सावित्री का व्रत इस बार 30 मई को रखा जाएगा.
क्या है संयोग?
इस बार वट सावित्री के व्रत के साथ सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी. सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. यह साल की आखिरी सोमवती अमावस्या भी होगी. इसके बाद सोमवती अमावस्या अगले साल ही आएगी. वट सावित्री व्रत पर महिलाएं करवा चौथ की तरह ही पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. वहीं सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान, पितरों की पूजा का विधान होता है.
वट सावित्री व्रत में कैसे करें पूजा?
वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पत्नियां बरगद की उम्र के समान ही पति की उम्र की कामना करती हैं. शास्त्रों के अनुसार, पीपल के वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है. इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन वटवृक्ष को जल से सींचकर उसके तने के चारों ओर परिक्रमा करते हुए कलावा बांधने की परंपरा होती है.
वट सावित्री व्रत की सामग्री
वट सावित्री व्रत के लिए बांस की लकड़ी से बना बेना (पंखा), अक्षत, हल्दी, अगरबत्ती या धूपबत्ती, लाल-पीले रंग का कलावा, सोलह श्रंगार, तांबे के लोटे में पानी, पूजा के लिए सिंदूर और लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए, पांच प्रकार के फल और पकवान का घर में इंतजाम कर लें. वट वृक्ष की पूजा में इन सभी चीजों का इस्तेमाल पूरे विधि-विधान से करें.