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Vidur Niti: बुद्धिमान वही जो धनवान हो, जानें क्या कहती है विदुर नीति

विदुर नीति Suvichar: विदुर अपने नीति शास्त्र (Vidur Niti) में वर्णित एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि असल में बुद्धिमान वही व्यक्ति है जो समग्र रूप से विकसित होते हुए धनवान है. आइए जानते हैं उनकी इस नीति के बारे में....

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Vidur Niti in Hindi: Mahatma Vidur Thoughts, Quotes, Suvichar, विदुर नीति
Vidur Niti in Hindi: Mahatma Vidur Thoughts, Quotes, Suvichar, विदुर नीति

Vidur Niti in Hindi: विदुर महाभारत के मुख्य पात्रों में एक ऐसा नाम था जिसकी विद्वता और बुद्धिमता का लोहा आज भी माना जाता है. पांडवों के करीब रहे विदुर ने महाभारत काल में हमेशा सही का साथ दिया. दासी के घर में जन्में महात्मा विदुर अपनी दूरदर्शी सोच के आधार पर नीतियों का निर्माण किया. दर्शन, अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष पर आधारित विदुर की नीतियों की मदद से मनुष्य अपने जीवन को सुगम बना सकता है. विदुर अपने नीति शास्त्र (Vidur Niti) में वर्णित एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि असल में बुद्धिमान वही व्यक्ति है जो समग्र रूप से विकसित होते हुए धनवान है. आइए जानते हैं उनकी इस नीति के बारे में....

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आत्मज्ञानं समारम्भस्तितिक्षा धर्मनित्यता।
यमार्थान्नापकर्षन्ति  स  वै  पण्डित  उच्यते।।

यानी, आत्मज्ञान, उद्योग, कष्ट सहने की सामर्थ्य और धर्म में स्थिरता, ये बातें जिसको 'अर्थ' से भटकाती नहीं हैं वही पंडित कहलाता है. भारतीय दर्शन के अनुसार मनुष्य का जीवन और उसकी सार्थकता 4 पुरुषार्थों पर टिके हैं और ये हैं, अर्थ, धर्म, काम एवं मोक्ष. 

  • अर्थ- जीवन के आधार संपदा की प्राप्ति
  • धर्म- कर्तव्यों का निर्वाह
  • काम- इच्छापूर्ति यानी भोग और
  • मोक्ष- कामनाओं से मुक्त होकर संसार त्याग.

महात्मा विदुर का यह श्लोक बहुत गूढ़ है. महात्मा विदुर का कहना है कि तमाम सदगुणों के बाद भी जो व्यक्ति अर्थ से विचलित नहीं होता है, उसे ही बुद्धिमान माना जा सकता है. वास्तव में पंडित का अर्थ ब्राह्मण न होकर ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति से है. सामान्य बोलचाल में ब्राह्मण को पंडित बोला जाता है. ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मण कर्म करने वाला व्यक्ति ज्ञानी होगा. आजकल यह जरूरी नहीं है. इस श्लोक में आए पंडित का अर्थ ज्ञानी या बुद्धिमान से लेना यथोचित है.

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महात्मा विदुर का कहना है कि अगर आप सांसारिक जीवन में हैं तो आपको भारतीय दर्शन के प्रथम लक्ष्य अर्थ अर्थात धन की महत्ता को समझना पड़ेगा. यह धन ही आपको समाज में प्रतिष्ठा दिलाता है. इसलिए पहले कर्तव्य की अनदेखी नहीं की जा सकती है.

महात्मा विदुर कहते हैं कि अगर आप केवल आत्मज्ञान में रहेंगे तो महात्मा हो जाएंगे. उद्योग में रहेंगे तो व्यापारी, धैर्यवान होंगे तो क्षत्रीय और धर्म में प्रवृत्त होंगे तो धार्मिक होंगे. परंतु जब आप समग्र विकास करते हुए धनवान होंगे तभी आप बुद्धिमान कहलाने के अधिकारी हैं. वास्तव में विदुर जी का कहना है कि धन जीवन के लिए जरूरी है.

 

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