scorecardresearch
 

Vijaya Ekadashi 2022: शत्रुओं को हराने के लिए रखें विजया एकादशी का व्रत, जानें तारीख, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Vijaya Ekadashi 2022: विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार विजय दिलाने वाली मानी जाती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना होती है. एकादशी का व्रत करने से आप भयंकर विपत्तियों से छुटकारा पा सकते हैं. बड़े से बड़े शक्तिशाली शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं. इस बार एकादशी व्रत 27 फरवरी 2022 दिन रविवार को रखा जाएगा.

Advertisement
X
Vijaya Ekadashi 2022
Vijaya Ekadashi 2022
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शक्तिशाली शत्रुओं को भी कर सकते हैं परास्त
  • 27 फरवरी को रखा जाएगा विजया एकादशी व्रत

Vijaya Ekadashi 2022 Date: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. हर एकादशी व्रत का जातक को पुण्य फल भी अलग मिलता है. इसी तरह विजया एकादशी का व्रत शत्रुओं पर विजय पाने के लिए रखा जाता है. मान्यता के अनुसार भगवान राम ने भी रावण को परास्त करने और युद्ध में विजय पाने के लिए विजया एकादशी व्रत रखा था. इस बार ये व्रत 27 फरवरी 2022 दिन रविवार को रखा जाएगा.
 
विजया एकादशी मुहूर्त

 विजया एकादशी का व्रत 27  फरवरी को रखा जाएगा.  पारणा मुहूर्त  27  फरवरी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट से 09 बजकर 06 मिनट तक किया जा सकेगा. व्रत पारण के लिए जातक को 2 घंटे 18 मिनट का समय मिलेगा.

Advertisement

विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें?
श्री हरी की स्थापना एक कलश पर करें. इसके बाद श्रद्धापूर्वक श्री हरि का पूजन करें. मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजन करें. इनको पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें. चाहें तो एक वेला उपवास रखकर , एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें. शाम को आहार ग्रहण करने के पहले उपासना और आरती जरूर करें. अगले दिन प्रातःकाल उसी कलश का और अन्न वस्त्र आदि का दान करें.

विजया एकादशी पर किन बातों का ध्यान रखें?
अगर उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें. एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें. रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें.

Advertisement

विजया एकादशी व्रत कथा
कथा के अनुसार त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने भगवान राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया, तब भगवान राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने मार्ग प्रदान किया. इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.

 

Advertisement
Advertisement