एक साधारण से चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाने वाले आचार्य चाणक्य की नीतियां मनुष्य के लिए जीवन के हर मोड़ पर लाभकारी साबित हो सकती हैं. चाणक्य की नीतियां हमेशा नौकरी, व्यापार और सामाजिक जीवन में काम आती हैं. चाणक्य ने बताया है कि मनुष्य को कैसे व्यक्ति से प्यार, कहां नौकरी करनी है.
समाने शोभते प्रीती राज्ञि सेवा च शोभते।
वाणिज्यं व्यवहारेषु स्त्री दिव्या शोभते गृहे॥
चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि व्यक्ति को प्यार करने के मामले में काफी सचेत रहना चाहिए. वो कहते हैं कि प्रेम बराबरी वाले व्यक्तियों में ही ठीक रहता है. साथ ही वो कहते हैं कि अगर नौकरी करनी हो तो राजा की नौकरी करनी चाहिए. कार्य अथवा व्यवसाय में सबसे अच्छा काम व्यापार करना है. इसी प्रकार उत्तम गुणों वाली स्त्री जीवन को एक दूसरे मुकाम पर ले जाने में अहम भूमिका निभाती है.
आचार्य के मुताबिक अपनी बराबरी वाले व्यक्ति से प्रेम-संबंध शोभा देता है. असमानता सामने आए बिना नहीं रहती, तब प्रेम शत्रुता में बदल जाता है. इसलिए क्यों न पहले ही ध्यान रखा जाए. इसी प्रकार यदि व्यक्ति को नौकरी तथा किसी सेवा कार्य में जाना है तो उसे प्रयत्न करना चाहिए कि सरकारी सेवा प्राप्त हो, क्योंकि उसमें एक बार प्रवेश करने पर अवकाश प्राप्त होने तक किसी विशेष प्रकार का झंझट नहीं रहता.
फिर वह निर्दिष्ट नियमों से संचालित होता है, न कि किसी व्यक्ति विशेष के आदेशों से. यदि अन्य कार्य करना पड़े तो व्यक्ति अपना ही कोई रुचि का व्यापार करे. गुणयुक्त स्त्री से घर की शोभा है.