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जानिए इस्लाम में क्या है जिहाद का मतलब, जिस पर बयान देकर फंस गए शिवराज पाटिल

कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल के बयान के बाद जिहाद एक बार फिर चर्चा में है. शिवराज पाटिल के इस बयान को लेकर भाजपा आक्रमक हो गई है और कांग्रेस पर सवाल खड़े कर रही है. ऐसे में सवाल है कि इस्लाम में जिहाद का क्या मतलब है और दूसरे धर्म में भी क्या जिहाद है?

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जिहाद शब्द एक बार फिर से सुर्खियों में है. कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने कहा कि जिहाद सिर्फ कुरान में ही नहीं बल्कि गीता में भी है और जीसस की तरफ से भी इसका जिक्र हुआ है. महाभारत के अंदर जो गीता का भाग है, उस में भी जिहाद है. महाभारत में श्रीकृष्ण जी ने भी अर्जुन को जिहाद का पाठ पढ़ाया था. शिवराज के इस बयान को लेकर बीजेपी आक्रमक हो गई है और कांग्रेस पर सवाल खड़े कर रही. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस्लाम में जिहाद का क्या मतलब और दूसरे धर्म में भी क्या जिहाद है?  

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जिहाद शब्द का अलग-अलग अर्थ निकाले जाते हैं, जिसके चलते आज जिहाद को नकारात्मक रूप में देखा जाता है. ऐसे में  जिहाद को कुरान की रोशनी और पैगम्बर मुहम्मद साहब के कथनों से जोड़कर देखा जाना चाहिए. जिहाद अरबी का शब्द है, जिसका अर्थ 'संघर्ष करना'. इसे अरबी भाषा में हर प्रकार के संघर्ष के लिए उपयोग होता है.

हदीस के हवाले से चार तरह के जिहाद माने हैं, जो हैं, दिल से, जबान से, हाथ से और तलवार से. दिल से जिहाद का अर्थ है अपने भीतर बसी बुराइयों के शैतान से लड़ना. जुबान से जिहाद का अर्थ है सच बोलना और इस्लाम के पैगाम को व्यक्त करना. हाथ से जिहाद का मतलब है अन्याय या गलत का शारीरिक बल से मुकाबला करना, जिसमें हथियार वर्जित है. चौथा तलवारी या सशस्त्र जिहाद है, जो सब जानते ही हैं. 

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जिहाद का मतलब युद्ध नहीं
जिहाद का अर्थ युद्ध से नहीं है. जिहाद को महज युद्ध से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि अरबी-इस्लाम में भाषा में युद्ध के लिए अलग शब्द 'गजवा' या 'मगाजी' का उपयोग किया जाता है. जिहाद को लेकर बहुत गलतफहमियां हैं. मौजूदा दौर में मुस्लिम जगत के कट्टरपंथियों ने मारकाट को जिहाद मान लिया. वहीं, पश्चिमी जगत जिहाद को 'पवित्र युद्ध' के रूप में पेश करता है. इस्लाम में कुरान और हदीस के हिसाब से दोनों व्याख्याएं गलत हैं. जिहाद को आज के दौर में नकारात्मक बनाने में इस्लामी कट्टरपंथी और पश्चिमी देश दोनों का बराबर का हाथ है. 

जिहाद के दो प्रकार होते हैं
जिहाद अरबी के जहद शब्द से बना है. इसका अर्थ है संघर्ष करना, प्रयास करना है. कुरान में जिहाद के मुख्य दो प्रकार के हैं, जिसमें जिहाद अल-अकबर और जिहाद अल-असगर. अकबर का अर्थ है बहुत बड़ा, महान या श्रेष्ठ. असर का मतलब है बहुत छोटा. इस तरह जिहाद अल-अकबर श्रेष्ठ जिहाद जबकि जिहाद अल-असगर छोटे दर्जे का जिहाद. इस तरह जिहाद अल-अकबर इस्लामिक अध्यात्म और नैतिकता से जुड़ा है. कुरान और इस्लाम में जिहाद अल-अकबर जो कि खुद अपने अंदर की बुराइयों से लड़ना बड़ा जिहाद है और तलवार की लड़ाई छोटी लड़ाई है, जिसका जिक्र जिहाद अल-असगर में मिलता है. 

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जिहाद अल-अकबर 
कुरान में जिहाद अल-अकबर का मतलब अपनी खुद की और समाज के भीतर की बुराइयों से लड़ना, नस्लीय भेदभाव को रोकना और औरतों के अधिकारों के लिए प्रयास करना, एक बेहतर छात्र बनना, एक बेहतर व्यवसायी, एक बेहतर सहयोगी बनना, माता-पिता की सेवा करना, अपनी नफ्स अर्थात इंद्रियों को काबू में रखना और सबसे ऊपर अपने क्रोध को काबू में रखना ही जिहाद है. यहां पर जिहाद पवित्र जीवन व्यतीत करने की कोशिश, व्यक्तिगत जीवन में धार्मिक मूल्यों को अपनाना और व्यक्तिगत जीवन और अपने आप को आदर्श बनाकर इस्लामी दृष्टिकोण के प्रचार के लिए है.

जिहाद अल-असगर 
जिहाद अल-असगर में काफिरों और पाखंडियों के खिलाफ संघर्ष के लिए है. इसे दो हिस्सों में बांटकर देखा जाता है. पहला, लेखन-जुबानी जिहाद और दूसरा किताल जिहाद. पहले हिस्से में समाज में जब जुल्म बढ़ जाए. बुराई अच्छाई पर हावी होने लग जाए. अच्छाई बुराई के आगे हार मानने लग जाए. हक पर चलने वालो को ज़ुल्म व सितम सहन करना पड़े तो उसको रोकने की कोशिश (जद्दो जेहद) करना और उसके लिए बलिदान देना ही 'जिहाद अल-असगर' है. 

किताली जिहाद को पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने सैनिक शक्ति के प्रयोग के लिए किया है, लेकिन इसे निम्न जिहाद माना. इस अर्थ में यह शब्द अपने बचाव के लिए हैं. इसके अलावा, इस्लाम और मुसलमानों की रक्षा के लिए प्रयोग होता है. पैगंबर जब मक्के से मदीने गए तो मक्के के उनके विरोधी जंग करने के लिए आए थे. ऐसे में नवगठित मुस्लिम समाज को सुरक्षा और स्थायित्व का खतरा, जिसके लिए किताली जिहाद किया गया. जिहाद 'सब्र' से लेकर 'किताल' यानी मक्का के अत्याचारियों के खिलाफ आत्मरक्षा में मारकाट और हत्याओं तक बदल गया. 

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दुनिया भर में किताली जिहाद ही गुरिल्ला या सैनिक युद्ध ही सबसे बड़ा जिहाद बन गया है. जिहाद 'सब्र' से 'सैफ' तक बदल गया. सैफ का मतलब सशस्त्र युद्ध से है. दुनिया भर में आज जो हो रहा है, उसे इसे जोड़कर देखा जाता है. जिहाद एक समय कथित मुशरिकों, गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हुआ करता था. मुस्लिम जगत में कट्टरपंथियों का एक मुस्लिम गुट दूसरे मुस्लिम समूह के विरुद्ध जिहाद पुकारता है. इस तरह से जिहाद का अर्थ ही सशस्त्र युद्ध बन गया है. इस तरह जिहाद की कुरान की मूल संकल्पना से पूरी तरह से बदला हुआ दिखता है.

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