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धर्म

त्रिशूल से लेकर भस्म तक, महादेव के 5 प्रतीकों में छिपे हैं ये रहस्य

त्रिशूल से लेकर भस्म तक, महादेव के 5 प्रतीकों में छिपे हैं ये रहस्य
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कैलाश पति भगवान भोलेनाथ का रूप बड़ा ही निराला है. महादेव का हर स्वरूप मतवाला है, लेकिन शिव के इस रूप में तमाम रहस्य समाए हुए हैं जिनको समझ पाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि आदि देव के हर रूप से भक्तों के लिए कृपा, दया, करुणा और आशीर्वाद बरसती है. जटाधारी भगवान भोलेनाथ का सबसे संहारक अस्त्र त्रिशूल है. लेकिन शिव के इस अमोघ त्रिशूल से भी रहस्य जुड़ा है.
त्रिशूल से लेकर भस्म तक, महादेव के 5 प्रतीकों में छिपे हैं ये रहस्य
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शिव के त्रिशूल का रहस्य
- दुनिया की कोई भी शक्ति हो- दैहिक , दैविक या भौतिक , शिव के त्रिशूल के आगे नहीं टिक सकती
- शिव का त्रिशूल हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार दंड देता है.
- घर में सुख समृद्धि के लिए, मुख्य द्वार के ऊपर बीचों बीच त्रिशूल लगायें या बनाएं.
- त्रिशूल आकृति तभी धारण करें, जब आप का मन, वचन और कर्म पर पूर्ण नियंत्रण हो.
त्रिशूल से लेकर भस्म तक, महादेव के 5 प्रतीकों में छिपे हैं ये रहस्य
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महादेव के त्रिपुंड का रहस्य
- सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों ही गुणों को नियंत्रित करते हैं महादेव
-  तीनों गुणों को नियंत्रित करने के कारण शिव जी त्रिपुंड तिलक प्रयोग करते हैं.
- यह त्रिपुंड सफेद चन्दन का होता है .
- कोई भी व्यक्ति जो शिव का भक्त हो, त्रिपुंड का प्रयोग कर सकता है.
- त्रिपुंड के बीच में लाल रंग का बिंदु, विशेष दशाओं में ही लगाना चाहिए.
- ध्यान या मंत्र जाप करने के समय त्रिपुंड लगाने के परिणाम अत्यंत शुभ होते हैं.
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भोलेनाथ की भस्म का रहस्य
- भगवान शिव इस दुनिया के सारे आकर्षण से मुक्त हैं.
- उनके लिए ये दुनिया , मोह-माया , सब कुछ एक राख से ज्यादा कुछ नहीं है.
- सब कुछ एक दिन भस्मीभूत होकर समाप्त हो जाएगा , भस्म इसी बात का प्रतीक है.
- शिव जी का भस्म से भी अभिषेक होता है , जिससे वैराग्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है.
- घर में धूप बत्ती की राख या कंडे की राख से, शिव जी का अभिषेक कर सकते हैं.
- परन्तु महिलाओं को भस्म से अभिषेक नहीं करना चाहिए.
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जटा से बहती गंगा का रहस्य
महादेव की जटाओं की शोभा मां गंगा भी बढ़ा रही हैं. मां गंगा महादेव के श्रृंगार का हिस्सा हैं. शिव की जटा में समाई गंगा से जुड़ा रहस्य क्या है. चलिए जाते हैं

- महादेव ने राजा सगर के पुत्रों की मुक्ति,लोक कल्याण के लिए गंगा को सिर पर धारण किया
- गंगा को धारण किए गए शिव जी के पूजन से पितृदोष से मुक्ति मिलती है
- विद्या, बुद्धि और कला के क्षेत्र में सफलता मिलती है
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