राजस्थान में देश-विदेश में प्रख्यात पुष्कर मेला शुरू हो गया है. हालांकि कार्तिक पंचतीर्थ स्नान 24 नवंबर से एकादशी स्नान के साथ आरंभ होगा. लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ अभी से जुटने लगी है.
पुष्कर मेला मूलत: पशुओं और साखतौर पर ऊंटों की खरीद-फरोख्त के लिए लगने वाला मेला है.
साल में पांच दिन के लिए ये मेला लगता है.
पुष्कर मेले की शुरुआत के साथ ही यहां तीर्थ यात्रियों की भीड़ उमड़ने लगी है.
बड़ी तादात में विदेशी सैलानी भी मेले का लुत्फ उठाने के लिए पुष्कर पहुंच रहे हैं.
शिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ ने मेला मैदान पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर शुभारम्भ किया.
मेले में रंगबिरंगे परिधान पहने राजस्थानी नर-नारियों बेहद मनमोहक लगते हैं.
शिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ ने पुष्कर मेला स्टेडियम में लोगों को संबोधित भी किया.
मेले में पहले ही दिन पशुपालकों की भारी संख्या जुटी.
मेले में बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भी आते हैं.
शिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ ने कहा है कि इस वर्ष पुष्कर मे सुचारु व्यवस्थाएं की गई है.
राज्य सरकार का दावा है कि इस बार यहां आने वाले श्रद्धालुओं, पशुपालकों, विदेशी मेहमानों और पशुओं को तकलीफ नहीं होगी.
मेले में पहले ही दिन शहर की विभिन्न शिक्षण संस्थाओं की 300 छात्राओं ने सामूहिक राजस्थानी लोक नृत्य कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया.
मेला शुरू होते ही पूरे शहर में रंगबिरंगा और उमंग भरा माहौल है.
पहले दिन यहां समारोह में ऊंट दौड़ प्रतियोगिता हुई.
इस दौड़ में गनाहेड़ा के नारायण सिंह ने प्रथम स्थान प्राप्त किया.
नानू सिंह ने द्वितीय और धर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. तीनों विजेता गनाहेड़ा के रहने वाले हैं.
शिक्षा राज्य मंत्री ने ऊंट दौड़ के विजेताओं को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया.
इस अवसर पर पुष्कर के निकटवर्ती ग्रामीण खिलाडियों एवं विदेशी सैलानियों के बीच आकर्षक फुटबॉल मैच बराबर की स्थिति में रहा.
पहले दिन पर्यटन विभाग की ओर से सभी का अभिनंदन मंगल स्वागत नगाड़ा वादन से हुआ.
पहले दिन नगाड़ा वादन मेले का मुख्य आकर्षण का केन्द्र बना रहा.
मेला मैदान में ऊंटों की दौड़ देखने के लिए पशुपालकों के साथ विदेशी मेहमान काफी उत्साहित दिखे.
पहले दिन ध्वजारोहण के दौरान पुलिस के सशस्त्र जवानों ने सलामी दी.
छात्राओं के लोक नृत्य की प्रस्तुति को विदेशी सैलानियों ने खूब सराहा.
हर बार की तरह राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से मेले में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
मेले के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली बार अच्छा बजट दिया है, जिससे इस बार मेले की व्यवस्था ऐतिहासिक होगी.
यहां होने वाले कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम इस मेले को यादगार बना देते हैं.
राजस्थान के अजमेर जिले में लगने वाला ये पुष्कर मेला दुनिया भर मशहूर है.
साल में एक बार लगने वाले इस मेले को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं.
यहां ऊंट और उनके तरह-तरह के करतब साल दर साल पर्यटकों को लुभाते रहे हैं.
ऊंटों के साथ-साथ उनके मालिक भी देखने वालों को लुभाते हैं.
दुनिभा भर में लगने वाले बड़े-बड़े ऊंटों के मेले में पुष्कर भी शामिल है.
केवल ऊंट ही नहीं बल्कि इस मेले में गाय, भेड़ व बकरियां भी देखी जा सकती हैं.
पुष्कर मेले के वक्त पूरे अजमेर की रौनक और भी बढ़ जाती है.
पुष्कर हिन्दुओं का तीर्थ स्थल भी है.
पुष्कर मेला यहां पर कार्तिक पूर्णिमा को लगता है.
स्थानीय प्रशासन इस मेले की व्यवस्था करता है एवं कला संस्कृति तथा पर्यटन विभाग इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.
इस मेले में आने वाले पशु ही यहां का मुख्य आकर्षण होते हैं.
कार्तिक महीने में लगने वाले पुष्कर ऊंट मेले ने तो इस जगह को दुनिया में अलग पहचान दी है.
मेले के दौरान राजस्थान की संस्कृति को काफी प्रशंसा और बढ़ावा मिलता है.
पूरे राजस्थान और आसपास के तमाम इलाकों से आदिवासी और ग्रामीण लोग अपने-अपने पशुओं के साथ मेले में शरीक होने आते हैं.
मेला रेत के विशाल मैदान में लगता है.
ये मेला राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने में काफी सहायक है.
दुनिया के बड़े पशु मेलों में इस पुष्कर का नाम भी शामिल है.