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धर्म

गणेश भक्तों के लिए संपूर्ण तीर्थ हैं ये मंदिर

गणेश भक्तों के लिए संपूर्ण तीर्थ हैं ये मंदिर
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श्री वरदविनायक-
यह मंदिर महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के कोल्हापुर क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर में नंददीप नाम का एक दीपक कई सालों से जल रहा है. मान्यता है कि यहां वरदविनायक का नाम लेने से ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
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मोती डूंगरी गणेश मंदिर-
यह मंदिर जयपुर के मोतीडूंगरी में है. बताया जाता है कि यहां थापित मूर्ति जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के मायके गुजरात के मावली से 1761 ई. में लाई गई थी.
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रणथंभौर गणेश जी-
राजस्थान के रणथंभौर किले के महल पर बहुत पुराना मंदिर है. मान्यता है कि कृष्ण-रुकमणी के विवाह का पहला निमंत्रण इन्हें ही भेजा गया था. तब से लोग शादी का निमंत्रण सबसे पहले गणेश जी को भेजते हैं. यहां आज भी भक्त अपनी परेशानियां दूर करने के लिए गणेश जी को चिट्ठी भेजते हैं. पोस्टमैन एक दिन में सैकड़ों चिठ्ठ‍ियां लेकर आते हैं और पुजारी भगवान को पढ़कर सुनाते हैं.
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सिद्धिविनायक मंदिर-
सिद्धिविनायक गणेश जी का सबसे अहम रूप है. जिन प्रतिमाओं की श्री गणपति की सूंड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वे सिद्धपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्धिविनायक कहलाते हैं. मुंबई के सिद्धिविनायक गणेश जी के दर्शन करने हिंदू ही नहीं, बल्कि हर धर्म के लोग आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.
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श्री मयूरेश्वर मंदिर-
यह मंदिर पुणे से 80 किलोमीटर दूर है. यहां चार दरवाजे हैं. ये चारों दरवाजे चारों युग, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग के प्रतीक हैं. मान्यता है कि मयूरेश्वर मंदिर में भगवान गणेश ने सिंधुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था. उन्होंने मोर पर सवार होकर राक्षस से युद्ध किया था. इसलिए यहां विराजे गणपति को मयूरेश्वर नाम से जाना जाता है.
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मनाकुला विनायगर मंदिर-
भगवान गणेश का यह मंदिर पर्यटकों के बीच भी आकर्षण का केंद्र है. प्राचीन होने की वजह से इस मंदिर की बहुत मान्यता है. कहते हैं कि यह मंदिर पोंडिचेरी में फ्रांस के कब्जे से पहले का है. यहां भक्त दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं.
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खजराना गणेश मंदिर-
इंदौर के खजराना में बना यह गणेश मंदिर काफी प्रचलित धार्मिक स्थल है. यहां दूर-दूर लोग दर्शन करने आते हैं और मन्नतें मांगते हैं. मां अहिल्याबाई के शासनकाल में बना यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है.
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श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर-
यह मंदिर पुणे में है. इसे 1893 में दगडूशेठ नाम के हलवाई ने अपने गुरू श्री माधवनाथ के कहने पर बनवाया था. यहां लाखों की तादाद में भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
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विघ्नेश्वर गणपति-
यह मंदिर पुणे के ओझर जिले के जूनर में है. इस मंदिर की से जुड़ी पौराणिक कथा में बताया जाता है कि विघनासुर नाम का एक राक्षस था जो ऋषियों को कष्ट पहुंचाता था. भगवान गणेश ने इसी जगह उसको मारकर सभी को उस दानव के आतंक से मुक्त किया था. तभी से यह मंदिर विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहार के नाम से जाना जाता है.
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चिंतामणि गणपति-
यह मंदिर पुणे जिले के हवेली क्षेत्र में स्थित है. मंदिर के पास ही भीम, मुला और मुथा नाम की तीन नदियों संगम है. कहा जाता है कि भगवान ब्रम्हा ने अपने विचलित मन को वश में करने के लिए इसी जगह तपस्या की थी.
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श्री बल्लालेश्वर मंदिर-
यह मंदिर मुंबई-पुणे हाइवे पर और गोवा रूट पर नागोथाने से पहले 11 किलोमीटर दूर है. कहा जाता है कि प्राचीन समय में बल्लाल नाम लड़का गणेश जी का परमभक्त था. एक दिन उसने पाली गांव में विशेष पूजा का आयोजन किया. पूजन कई दिनों तक चल रहा था. इसमें शामिल कई बच्चे घर लौटकर नहीं गए और वहीं बैठे रहे. इस कारण उन बच्चों के माता-पिता ने बल्लाल को पीटा और गणेशजी की प्रतिमा के साथ उसे भी जंगल में फेंक दिया. गंभीर हालत में बल्लाल गणेशजी के मंत्रों का जप कर रहा था. उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे दर्शन दिए.
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मधुर महागणपति मंदिर-
यह मंदिर केरल में है. यह भगवान गणेश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है.
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कनिपक्कम विनायक मंदिर-
कनिपक्कम विनायक का ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में है. यह नदी के बीचों बीच बना है और कहा जाता है कि यहां गणेश जी की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ रहा है.
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श्री गिरजात्मज गणपति मंदिर-
यह मंदिर पुणे-नासिक हाईवे पर करीब 90 किलोमीटर दूर है. गिरजात्मज का मतलब है गिरिजा यानी माता पार्वती के पुत्र गणेश. यह मंदिर एक पहाड़ पर बौद्ध गुफाओं में बनाया गया है. यहां लेनयादरी पहाड़ पर 18 बौद्ध गुफाएं हैं और इनमें से 8वीं गुफा में गिरजात्मज विनायक मंदिर है. इन गुफाओं को गणेश गुफा भी कहा जाता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 300 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं.
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गणेश टोंक मंदिर-
गणेश टोक मंदिर सिक्किम में गंगटोक-नाथुला रोड से करीब 7 किलोमीटर की दूर है. यह मंदिर करीब 6,500 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है. यहां से शहर का नजारा ले सकते हैं.
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महागणपति मंदिर-
यह मंदिर पुणे के रांजणगांव में है. यह पुणे-अहमदनगर हाईवे पर 50 किलोमीटर दूर है. माना जाता है मंदिर की मूल मूर्ति तहखाने में छुपी हुई है. कई सालों पहले जब विदेशियों ने यहां आक्रमण किया था तो उनसे मूर्ति बचाने के लिए उसे तहखाने में छुपा दिया था.
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