मुहर्रम की 10 तारीख को यजीद की फौज और हुसैन के साथियों के बीच जंग छिड़ गई. यजीदी सेना बहुत ताकतवर थी. उनके पास हथियार, खंजर और तलवारें थीं. जबकि हुसैन के काफिले में सिर्फ 72 लोग ही थे. इसी जंग के दौरान मुहर्रम की 10 तारीख को यजीद की फौज ने इमाम हुसैन और उनके साथियों का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया. इस जंग में हुसैन के 6 महीने के बेटे अली असगर, 18 साल के अली अकबर और 7 साल के उनके भतीजे कासिम को भी यजीदी सेना ने शहीद कर दिया. इसी के चलते मुस्लिम समुदाय इस महीने को गम के तौर पर मनाता है.