पूरा देश होली के रंग से रंग गया है. राजनीति, सिनेमा, उद्योग जगत या आम लोग सभी होली के रंगों में रंगे हुए हैं.
पूरा देश होली के रंगों में सराबोर है. हिंदुस्तान के अलग-अलग कोने में होली का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
होली, वसंत ऋतु में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला हिंदूओं का महत्वपूर्ण त्योहार है.
होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका लोग बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं.
भारत में होली के ये खूबसूरत रंग देखने के लिए विदेशी सैलानी भी भारत पहुंचते हैं.
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग रूपों में होली मनाई जाती है.
रबी की फसल की कटाई के बाद वसन्त पर्व में मादकता के अनुभवों के बीच मनाया जाने वाला यह पर्व उत्साह और उल्लास का परिचायक है.
अबीर-गुलाल व रंगों के बीच भांग की मस्ती में फगुआ गाते इस दिन क्या बूढ़े व क्या बच्चे, सब एक ही रंग में रंगे नजर आते हैं.
बरसाने की लठमार होली की मौज ही कुछ और होती है.
वसंत ऋतु में मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा गया है.
इस लठमार होली में महिलाएं पुरुषों पर लठ बरसाती हैं.
होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है. उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है.
होली को लेकर देश के विभिन्न अचलों में तमाम मान्यतायें हैं और शायद यही विविधता में एकता की भारतीय संस्कृति का परिचायक भी है.
इस त्योहार पर क्या बड़े, क्या छोटे सब खुशियों के रंग में रंग जाते हैं.
उत्तर पूर्व भारत में होलिकादहन को भगवान कृष्ण द्वारा राक्षसी पूतना के वध दिवस से जोड़कर पूतना दहन के रूप में मनाया जाता है तो दक्षिण भारत में मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कामदेव को तीसरा नेत्र खोल भस्म कर दिया था और उनकी राख को अपने शरीर पर मल कर नृत्य किया था.
इसके बाद कामदेव की पत्नी रति के दुख से द्रवित होकर भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया, जिससे प्रसन्न हो देवताओं ने रंगों की वर्षा की.
इसी कारण होली की पूर्व संध्या पर दक्षिण भारत में अग्नि प्रज्ज्वलित कर उसमें गन्ना, आम की बौर और चन्दन डाला जाता है. यहां गन्ना कामदेव के धनुष, आम की बौर कामदेव के बाण, प्रज्वलित अग्नि शिव द्वारा कामदेव का दहन एवं चन्दन की आहुति कामदेव को आग से हुई जलन हेतु शांत करने का प्रतीक है.
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में अवस्थित धूंधड़का गांव में होली तो बिना रंगों के खेली जाती है और होलिकादहन के दूसरे दिन ग्रामवासी अमल कंसूबा अर्थात अफीम के पानी को प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं
रंगों का त्योहार कहे जाने वाली होली को दो दिन तक मनाया जाता है. पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है.
होली का दूसरा दिन रंगों का दिन होता है. कहते हैं इस दिन पराए भी अपने हो जाते हैं. इसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे पर गुलाल लगाते हैं, लाल, पीले और लाल रंग के गुलाल में पूरा देश रंगा हुआ नजर आने लगता है.
ताजमहल के सामने होली मनाते लोग.
इस दिन ढोल बजाकर लोग होली के गीत गाते हैं और घर-घर जाकर लोगों को रंग लगाते हैं.
एक-दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है.
होली में इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक रंगों की तरह होली के भी कई रंग हैं. भारत में होली कई तरह से मनाई जाती है.
ब्रज की होली आज भी सारे देश में प्रसिद्ध है.
मथुरा और वृंदावन में पंद्रह दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है.
इसी तरह हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है.
महाराष्ट्र की रंग पंचमी में सूखा गुलाल खेलने, गोवा के शिमगो में जुलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने और पंजाब के होला-मोहल्ला में सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन की परंपरा है.
दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के लिए होली सबसे बड़ा पर्व है, छत्तीसगढ़ की होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है.
इस तरह रंगों की तरह इस त्योहार के भी अनेक रंग हैं.
ब्रज के बरसाना गांव में होली एक अलग तरह से खेली जाती है, जिसे लठमार होली कहते हैं.
ब्रज में वैसे भी होली खास मस्ती भरी होती है, क्योंकि इसे कृष्ण और राधा के प्रेम से जोड़कर देखा जाता है.
यहां की होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं भाग लेती हैं, क्योंकि कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाने की.
नंदगांव की टोलियां जब पिचकारियां लिए बरसाना पहुंचती हैं, तो उनपर बरसाने की महिलाएं खूब लाठियां बरसाती हैं.
नंदगांव और बरसाने के लोगों का विश्वास है कि होली में लाठियों से किसी को चोट नहीं लगती है. अगर चोट लगती भी है, तो लोग घाव पर मिट्टी लगाकर फिर होली का मजा़ लेने लगते हैं.
इस दौरान लोग भांग और ठंडाई का भी खूब लुत्फ उठाते हैं.
बनारस को भगवान शिव की नगरी कहा गया है. यहां होली को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाते हैं और बाबा विश्वनाथ के विशिष्ट ऋंगार के बीच भक्त भांग व बूटी का आन्नद लेते हैं.
कानपुर में होली का अपना अलग ही इतिहास है. यहां जाजमऊ और उससे लगे बारह गांवों में पांच दिन बाद होली खेली जाती है.
होली रंगों का त्योहार भले ही कही जाती हो, इस दिन खाने-खिलाने का भी अलग ही मजा होता है.
होली नजदीक आते ही लजीज मिठाइयों की खुशबू फिजा में तैरने लगती है. होली पर गुझिया, मालपुआ, गुलाब-जामुन और रसमलाई की मांग ज्यादा होती है.
होली हो और फिल्मों की बातें ना हों तो मजा अधूरा सा रह जाएगा. हिंदी फिल्मों में होली को एक पर्व से ज्यादा मस्ती का रंग दिया गया है.
बॉलीवुड के कई निर्देशकों ने अपनी फिल्मों को होली के रंग से सराबोर किया है.
कई फिल्मों में होली के गीत इतने लोकप्रिय हुए कि आज भी होली के दिन वह दिनभर सुनाई देते हैं.
होली की मस्ती और फिल्मी गीतों का साथ होली के रंग को और भी रंगीन बना देता है.
कई फिल्मों में होली के दृश्य और गाने फिल्म की मस्ती को बढ़ाने के लिए डाले जाते हैं.
ऐसी फिल्मों में पहला नाम ‘मदर इंडिया’ का आता है, जिसका गाना ‘होली आई रे कन्हाई’ आज भी याद किया जाता है.
ऐसी फिल्मों में पहला नाम ‘मदर इंडिया’ का आता है, जिसका गाना ‘होली आई रे कन्हाई’ आज भी याद किया जाता है.
पूरा देश होली के रंग से रंग गया है. राजनीति, सिनेमा, उद्योग जगत या आम लोग सभी होली के रंगों में रंगे हुए हैं.
बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह अरुण जेटली के साथ होली मनाते हुए.
एक समारोह के दौरान सुशील कुमार शिंदे को रंग लगाते अधिकारी.
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह होली के अवसर पर इस तरह रंग गए.
महिलाओं ने गाते हुए झूमकर मनाई होली.
बांकेबिहारी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण संग होली मनाने पहुंचे श्रद्धालु.
वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में इस तरह भक्तों का तांता लगा रहा.
देशभर में बड़े धूम-धाम से मना होली का त्योहार.
कोलकाता में बच्चों ने रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर इस तरह मनाई होली.
ढ़ोल बजाकर और फिल्मी गानों पर ठुमके लगाकर मनी होली.
होली खेलने के लिए लोग सड़कों पर निकल पड़े.
लोगों ने मंदिरों में जाकर भगवान संग भी खेली होली.
देशभर में बड़े धूम-धाम से मनाया गया होली का त्योहार.